Dhanteras 2025: धनतेरस का त्यौहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाले पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन धन के देवता कुबेर, आरोग्य के देवता धन्वंतरि और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस शुभ दिन किए गए कुछ चमत्कारी उपाय न केवल आर्थिक बाधाओं को दूर करते हैं, बल्कि पूरे वर्ष सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करते हैं. आइए जानें ऐसे ही कुछ अचूक और सरल उपायों के बारे में.
मुख्य द्वार पर ‘ॐ’ का शुभ चिन्ह
आपके घर का मुख्य द्वार वह स्थान होता है जहां से ऊर्जा और धन का प्रवेश होता है. धनतेरस की रात इस द्वार पर ‘ॐ’ का चिन्ह बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है. इस अनुष्ठान के लिए चावल को हल्दी के साथ पीसकर एक प्राकृतिक लेप बनाया जाता है. हल्दी को शुभता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है, जबकि चावल को सनातन धर्म में अन्न, समृद्धि और अक्षत का प्रतीक माना जाता है. ‘ॐ’ को ब्रह्मांड की ध्वनि और प्रथम ध्वनि माना जाता है. इसे सभी मंत्रों का बीज माना जाता है. घर के मुख्य द्वार पर इस चिन्ह को बनाना ब्रह्मांडीय सकारात्मक ऊर्जा और देवी लक्ष्मी का खुले दिल से स्वागत करने का प्रतीक है. यह चिन्ह घर से नकारात्मकता को दूर रखता है और परिवार में शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है.
सफेद वस्तुओं का दान
यदि आपके जीवन में लगातार बाधाएँ आ रही हैं, आर्थिक प्रवाह में बाधा आ रही है, या बचत टिक नहीं रही है, तो धनतेरस पर सफेद वस्तुओं का दान एक शक्तिशाली उपाय है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से चीनी, बताशा, खीर या चावल जैसी सफेद वस्तुओं का दान बहुत महत्वपूर्ण है. ज्योतिष में, सफेद रंग शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे धन, समृद्धि, आराम और विलासिता का कारक माना जाता है. शुक्र के मजबूत होने पर जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती. सफेद वस्तुओं का दान करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है, आर्थिक बाधाएँ दूर होती हैं और समृद्धि का मार्ग खुलता है. यह दान, विशेष रूप से गरीबों और ज़रूरतमंदों को करने से ‘स्थिर लक्ष्मी’ की कृपा प्राप्त होती है.
दक्षिणावर्ती शंख से जल छिड़कना
धनतेरस पर सबसे प्रभावी उपायों में से एक है दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग. पूजा शुरू करने से पहले और पूजा समाप्त होने के बाद, शंख में जल भरें और पूरे घर में छिड़कें.
पौराणिक और ऊर्जा-आधारित तथ्य
पौराणिक कथाओं के अनुसार, दक्षिणावर्ती शंख समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से एक है. इसे देवी लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है, क्योंकि दोनों की उत्पत्ति एक ही स्थान से हुई थी. जिस घर में यह शंख रखा जाता है, वहाँ देवी लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं. जल छिड़कने से पहले शंख से निकलने वाली ध्वनि और जल वातावरण की सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट कर देते हैं. यह शुद्धिकरण का कार्य करता है और देवी लक्ष्मी के लिए एक पवित्र और शांतिपूर्ण मार्ग बनाता है, जिससे घर में धन और समृद्धि का स्थायी आगमन सुनिश्चित होता है.
इन चमत्कारी उपायों को सच्ची श्रद्धा और उचित विधि-विधान से करने पर धनतेरस की रात देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे न केवल धन की कमी दूर होती है, बल्कि पूरे परिवार के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश फैलता है.
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