Dhanteras Ki Katha in Hindi: आज देशभर में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन समुद्र मंथन से भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि अमृत कलश और औषधियां लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए धनतेरस के त्योहार को स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि भी माना जाता है. धनतेरस के दिन खरीदारी करना भी बेहद शुभ होता है, आज ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धी आती है इसके अलावा धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. आज धनतेरस के दिन शाम की पूजा में धनतेरस की कहानी भी जरूर पढ़नी चाहिए. चलिए जानते हैं यहां क्या है धनतेरस की कथा.
क्या है धनतेरस की कहानी (Dhanteras Katha in Hindi)
एक समय की बात है, भगवान विष्णु मृत्युलोक में विचरण करने गए थे. तब लक्ष्मी जी ने उनसे साथ चलने के लिए कहा. विष्णुजी ने कहा कि अगर मैं जो बात कहूं तुम अगर वैसा ही मानो तो फिर चलो. तब लक्ष्मी जी कहा मैं वैसा ही करूंगी, जैसा आप कहेंगे और भगवान विष्णु के साथ भूमंडल पर आ गईं. कुछ देर बाद एक जगह पर पहुंचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी से कहा- जब तक मैं यहां ना आऊं तुम यहां यही रहनी, कही मत जाता मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं, तुम उधर की तरफ मत आना. लेकिन विष्णु जी के मना करने पर लक्ष्मी के मन में कौतुहल जागा कि आखिर दक्षिण दिशा में ऐसा क्या है, जो मुझे मना किया गया है..
इस बात को सोच- सोचकर मां लक्ष्मी परेशान हो गई और रह नई पाई जैसे ही भगवान आगे बढ़े लक्ष्मी जी भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं. कुछ दूर जाने के बाद लक्ष्मी जी सरसों का एक खेत दिखाई दिया, जिसमें खूब फूल लगे थे. सरसों की शोभा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं और फूल तोड़कर अपना श्रृंगार करने लगी. वहीं आगे जाने के बाद उन्हें एक गन्ने का खेत दिखा, जहां से वो लक्ष्मीजी गन्ने तोड़कर रस चूसने लगीं. उसी समय विष्णु जी ने उन्हें देख लिआ और वो लक्ष्मी जी पर नाराज हो गए और उन्हें शाप दिया कि मैंने तुम्हें इधर आने को मना किया था, लेकिन तुम नहीं मानी और किसान की चोरी का अपराध कर बैठी. अब तुम इस अपराध के जुर्म में इस किसान की 12 वर्ष तक सेवा करोगी. ऐसा कहने के बाद भगवान उन्हें छोड़कर क्षी रसागर चले गए.
जिसके बाद भगवान विष्णु जी की बात मानकर लक्ष्मी जी उस गरीब किसान के घर रहने लगीं. एक दिन लक्ष्मी जी ने किसान की पत्नी से कहा कि तुम स्नान करने के बाद सबसे पहले मेरी बनाई गई इस देवी लक्ष्मी का पूजन करो, फिर रसोई में जाकर खाना बनाना, ऐसा करने के बाद, जो तुम मांगोगी, तुमको मिल जाएगा. किसान की पत्नी ने ऐसा ही किया और लक्ष्मी जी की कृपा से किसान का घर दूसरे ही दिन से अन्न, धन, रत्न, स्वर्ण से भर गया. किसान के 12 वर्ष बड़े आनंद से कट गए. फिर 12 वर्ष के बाद लक्ष्मी जी जाने के लिए तैयार हुईं.
वहीं जब विष्णु जी अपनी पत्नी लक्ष्मी जी को लेने आए, तो किसान ने उन्हें भेजने से मना कर दिया. इस पर भगवान ने किसान से कहा- इन्हें कौन जाने देता है, यह तो चंचला हैं, कहीं नहीं ठहरतीं. इन्हें तो अपने पास बड़े-बड़े भी नहीं रोक पाए. इन्हे मैने शाप दिया था इसलिए 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही थीं. लेकिन अब तुम्हारी 12 वर्ष सेवा का समय पूरा हो चुका है. किसान ने हठपूर्वक बोला कि नहीं अब मैं अपने घर से लक्ष्मी जी को नहीं जाने दूंगा. तब लक्ष्मी जी ने कहा कि हे किसान तुम मुझे रोकना चाहते हो तो, जैसा मैं कहती हूव वैसा करो. कल त्रयोदशी यानी तेरस तिथि है. तुम कल घर की साफ सफाई करके घर को सजाकर रात्रि में घी का दीपक जलाना और सायंकाल के समय मेरा पूजन करना के लिए एक तांबे के कलश में रुपए भरकर मेरे लिए रखना, मैं उस कलश में निवास करूंगी. लेकिन पूजा के समय मैं तुम्हें दिखाई नहीं दूंगी. इस दिन की पूजा से वर्ष भर मैं तुम्हारे घर से नहीं जाऊंगी. इस बात को कहने के बाद दीपकों के प्रकाश के साथ दसों दिशाओं में फैल गईं. अगले दिन किसान ने लक्ष्मी जी के कथानुसार पूजा की. उसका घर फिर से धन-धान्य से पूर्ण हो गया. इसी वजह से हर वर्ष धनतेरस के दिन लक्ष्मीजी की पूजा होने लगी.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

