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ये फल छठ पूजा में क्यों नहीं चढ़ाए जाते? जानें पूरी वजह

छठ पूजा में कुछ फल चढ़ाने से वर्जित माने जाते हैं. ये धार्मिक और पारंपरिक कारणों से तय होता है। जानें कौन से फल नहीं चढ़ाए जाते और इसके पीछे की वजहें.

By: Komal Singh | Last Updated: October 24, 2025 3:49:52 PM IST



छठ पूजा का पर्व श्रद्धा, स्वच्छता और सूर्य देव व छठी मइया की आराधना का प्रतीक है. इस व्रत में पूरे फल-फूल और शुद्ध प्राकृतिक प्रसाद दिए जाते हैं, इसके पीछे सिर्फ परंपरा ही नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक तथा मानवीय संदेश है. पूजा के दौरान कटे-छिले, विदेशी या तामसिक प्रकृति के फल नहीं चढ़ाए जाते क्योंकि यह हमें याद दिलाते हैं कि मानव-भावना, प्रकृति-सम्मान और पारदर्शिता ही इस व्रत की आत्मा है.जानते हैं वे कारण जिनकी वजह से इन फल-ठोस प्रथाओं को आश्रय दिया गया है .

 

 कटा-छिला फल अशुद्ध माना जाता है

 

छठ पूजा में जब हम फल चढ़ाते हैं, तो उन्हें बिना कटे-छिले ही समर्पित करना जरूरी होता है. कटे या छिले हुए फल ‘अशुद्ध’ माने जाते हैं क्योंकि वे आध्यात्मिक रूप से अधूरे होते हैं, जैसे हमारी श्रद्धा पूरी तरह नहीं है. इस व्रत में पूरी श्रद्धा व शुद्धता का महत्व है, इसलिए प्रतिप्रसाद पूर्ण और स्वच्छ होना चाहिए. इस नियम से यह संदेश मिलता है कि हम भी अपने काम, रिश्तों व विचारों में सम्पूर्णता लाएँ.

 

 काला अंगूर व अन्य तामसिक फल वर्जित हैं

 

व्रत के दौरान काले अंगूर जैसे फल चढ़ाना परंपरा में नहीं है क्योंकि इन्हें तामसिक प्रकृति के फल माना जाता है. जो चंचलता, अस्थिरता व बाह्य कृत्रिमता को दर्शाते हैं. जबकि छठ पूजा में सरलता, सच्चाई व प्राकृतिकता को प्राथमिकता दी जाती है. इसलिए ऐसा फल उपयोग न कर यह दिखाया जाता है कि हम भक्तिपूर्वक प्राकृतिकता को अपनाते हैं.

 

बिना छिलके वाला नारियल स्वीकार नहीं

 

नारियल जिसे छिलका उतारे-बगैर ही पूजा में चढ़ाया जाता है, उसे शिक्षा-प्रतीक माना जाता है कि हमारी छवि व आंतरिक स्थिति दोनों स्पष्ट और सम्पूर्ण होनी चाहिए. यदि छिलका निकाल दिया जाए, तो मान्यता है कि यह धार्मिक शुद्धता को ठेस पहुँचाता है. इसलिए व्रत में वह नारियल ही स्वीकार्य है जिसे पूरी तरह स्वतः की प्रकृति में चढ़ाया गया हो.

 

कटे-छिले सेब और मिलावट वाले फल वर्जित

 

सेब या कोई फल यदि पहले से कट-छिला हो या उसकी पॉलिश की गई सतह हो, तो माना जाता है कि वह ‘नेचुरल’ नहीं रहा. छठ पूजा में प्राकृतिकता व वास्तविकता का बहुत मान है, इसलिए ऐसे फल नहीं चढ़ाए जाते. यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारी आत्मा व जीवन में भी मिलावट न हो सरल और स्वाभाविक रहना चाहिए.

 

 विदेशी फल- जैसे कीवी, एवोकाडो स्वीकार्य नहीं

 

छठ पूजा में विदेशी फल जैसे कीवी, एवोकाडो, स्ट्रॉबेरी इत्यादि चढ़ाना परम्परा में नहीं है. कारण यह है कि व्रत स्थानीय संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों व साझेदारी का प्रतीक है. विदेशी फल स्तुति के भाव को कम करते हैं और सामुदायिक-धरोहर को कमतर कर देते हैं. इसलिए सिर्फ स्थानीय व प्राकृतिक फल-फूल का इस्तेमाल बेहतर माना जाता है.

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