Home > धर्म > Chhath Puja MahaPrasad: छठ पूजा पर ठेकुआ क्यों है महाप्रसाद, जानें इसका महत्व

Chhath Puja MahaPrasad: छठ पूजा पर ठेकुआ क्यों है महाप्रसाद, जानें इसका महत्व

Chhath Puja 2025: इस साल छठ पूजा की शुरूआत 25 अक्टूबर हो चुकी है. आज यानी की 26 अक्टूबर को छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना मनाया जा रहा है. छठ पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. इस पर्व का महाप्रसाद ठेकुआ होता है, तो आइए जानते हैं इसका क्या महत्व है?

By: Shivi Bajpai | Published: October 26, 2025 10:42:52 AM IST



Chhath Puja 2025: छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का सबसे पवित्र पर्व है, जिसमें व्रती पूरे विधि-विधान और शुद्धता के साथ चार दिनों तक पूजा-अर्चना करते हैं. इस पर्व के प्रसाद में सबसे विशेष स्थान ठेकुआ को प्राप्त है. ठेकुआ न केवल स्वादिष्ट व्यंजन है, बल्कि यह छठ पूजा का महाप्रसाद माना जाता है. यह प्रसाद श्रद्धा, परंपरा और पवित्रता का प्रतीक है, जिसे हर घर में अत्यंत भावनाओं के साथ बनाया जाता है.

ठेकुआ क्या है और कैसे बनता है?

ठेकुआ एक पारंपरिक मिठा व्यंजन है, जिसे गेहूं के आटे, गुड़ (या चीनी) और घी से तैयार किया जाता है. इसमें इलायची, नारियल या सूखे मेवे भी डाले जा सकते हैं. यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर घी में तला जाता है, जिससे इसकी सुगंध पूरे वातावरण को पवित्र बना देती है. ठेकुआ को विभिन्न आकारों में लकड़ी या कांसे की छाप से सजाया जाता है, जो इसे सुंदर और पारंपरिक बनाता है.

ठेकुआ को महाप्रसाद क्यों कहा जाता है?

  • छठ पूजा में ठेकुआ को महाप्रसाद इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह पूरी तरह सात्विक और प्राकृतिक सामग्रियों से तैयार होता है.
  • इसमें कोई कृत्रिम पदार्थ या बाजार की चीज़ें नहीं मिलाई जातीं, जिससे यह पवित्रता का प्रतीक बनता है.
  • इसे बनाने के दौरान व्रती पूर्ण शुद्धता, संयम और ध्यान रखते हैं.
  • यह प्रसाद घर की स्त्रियों द्वारा सामूहिक रूप से बनाया जाता है, जिससे एकता और पारिवारिक भाव प्रकट होता है.
  • ठेकुआ सूर्य देव को अर्पित करने के बाद ही ग्रहण किया जाता है, इसलिए इसे “महाप्रसाद” कहा गया है.

Chhath Puja 2025: छठ पूजा पर कौन-सा रंग पहनना होगा शुभ? जानें इसका महत्व

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मान्यता है कि छठी मैया को ठेकुआ अत्यंत प्रिय है. यह प्रसाद सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है. ठेकुआ न केवल एक खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह श्रद्धा, समर्पण और पवित्रता का प्रतीक है. ग्रामीण समाज में यह पर्व सामूहिक भक्ति का स्वरूप प्रस्तुत करता है, जहां लोग अपने हाथों से प्रसाद बनाकर आस्था प्रकट करते हैं.

Chhath Puja 2025: छठ पूजा का दूसरा दिन आज, जानें क्यों खाई जाती है इस दिन गुड़ की खीर और रोटी?

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

छठ पूजा में ठेकुआ केवल एक प्रसाद नहीं, बल्कि यह भक्ति और परंपरा का जीवंत रूप है. इसमें मेहनत, सादगी और पवित्रता तीनों का संगम होता है. सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित यह प्रसाद आस्था का ऐसा प्रतीक है, जो लोगों को एक साथ जोड़ता है और जीवन में मिठास, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देता है. यही कारण है कि ठेकुआ को छठ पूजा का महाप्रसाद कहा जाता है.

Advertisement