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Chhath Puja 2025:छठ पूजा कब है? नहाय-खाय से लेकर पारण तक, जानें चार दिनों के महापर्व छठ पूजा की पूरी विधि

Chhath Puja 2025: रोशनी के पर्व दीपावली के बाद आस्था के पर्व छठ की शुरूआत 25 अक्टूबर से होने जा रही है. ये पर्व चार दिनों तक चलता है. इस पर्व की शुरूआत नहाय-खाय से शुरू होकर उषा अर्घ्य के साथ ही समाप्त हो जाती है. इस दौरान महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती हैं. तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं छठ पूजा की पूरी विधि के बारे में.

By: Shivi Bajpai | Published: October 23, 2025 10:16:23 AM IST



Chhath Puja Vidhi in Hindi: छठ पर्व मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. ये त्योहार पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (नहाय-खाय) से शुरू होकर ये चार दिनों तक चलता है. चारों दिनों में व्रती महिलाएं नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उदय अर्घ्य की विधि का पालन करती हैं, जो उन्हें अनुशासन और भक्ति सीखाता है.

छठ पूजा का महत्व क्या है? (Chhath Puja Ka Mehtava)

छठ पर्व सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का जरूरी हिस्सा है. इसे करने से न केवल स्वास्थ्य, समृद्धि और लंबी उम्र मिलती है, बल्कि परिवार में भी खुशहाली लाता है. चार दिनों तक मनाया जाने वाला ये आस्था का पर्व अनुशासन, संयम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. ये पूजा आपकी आत्मा और शरीर को शुद्धि प्रदान करती है. 

नहाय-खाय (पहला दिन 25 अक्टूबर 2025)

  • छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खायके नाम से जाना जाता है 
  • इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं
  • भोजन में महिलाएं सादा चावल, दाल और फल जैसी चीजों को खाती हैं.
  • नहाय-खाय से व्रती अगले तीन दिनों के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होती हैं.

खरना (दूसरा दिन 26 अक्टूबर 2025)

  • छठ पर्व का दूसर दिन खरनाके नाम से जाना जाता है.
  • इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं
  • शाम के समय व्रती खीर, फल और मीठे प्रसाद को ग्रहण करके व्रत को खोलती हैं.
  • इसके बाद फिर से निर्जल व्रत श्रद्धा और आस्था के साथ जारी रहता है.
  • ये दिन धार्मिक आस्था, संयम और अनुशासन का प्रतीक है.

संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन 27 अक्टूबर 2025)

  • तीसरे दिन व्रती महिला नदी, तालाब या जलाशय के किनारे सूर्य को अर्घ्य देती हैं
  • इस दिन सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
  • इस दिन व्रती शाम से रात तक निर्जला व्रत रखती हैं.
  • संध्या अर्घ्य व्रती के लिए आत्मशुद्धि और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है.

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उदय या पारण (चौथा दिन 28 अक्टूबर 2025)

  • चौथे और अंतिम दिन व्रती सूर्य उदय के समय नदी या तालाब के किनारे खड़ी होती हैं.
  • इस दिन व्रत का पारण किया जाता है और ऐसा करने से शरीर और मन को शुद्धि प्राप्त होती है.
  • पारण के बाद व्रती को ऊर्जा, आशीर्वाद और आध्यात्मिक संतोष का प्रतीक माना जाता है.
  • उदय अर्घ्य का सीधा कनेक्शन ईश्वर के प्रेम से है

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(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

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