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Chhath Puja 2025 Date: जानिए कब शुरू होगा छठ महापर्व, निर्जला व्रत से लेकर सूर्य अर्घ्य तक पूरी विधि

Chhath Puja 2025 Date: छठ पर्व हर साल कार्तिक मास की षष्ठी तिथि से शुरू होता है. यह नहाय खाय से शुरू होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है. इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सुख, समृद्धि और संतान की सलामती की कामना करती हैं.

By: Shivashakti Narayan Singh | Published: October 22, 2025 8:57:42 PM IST



Chhath Puja 2025 Date: हर साल छठ पूजा 2025 मनाई जाती है. हिंदू धर्म में हर दिन, वार और महीने का विशेष महत्व होता है. इन महीनों में कार्तिक को व्रत और त्योहारों का महीना माना जाता है. 20 अक्टूबर को देशभर में दिवाली मनाई गई. लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. छठ पूजा, छठी मैया और भगवान सूर्य की आराधना का अनूठा पर्व है. यह पर्व प्रकृति और आस्था के संगम का प्रतीक है. इस पर्व के दौरान, पुरुष और महिलाएं निर्जला व्रत रखते हैं और अपनी संतान की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते हैं कि इस साल यह व्रत कब रखा जाएगा.

वैदिक पंचांग के अनुसार

इस वर्ष छठ पूजा 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगी. यह पर्व 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा. दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना किया जाएगा. फिर तीसरे दिन 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पूजा के अंतिम दिन, 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही यह पर्व संपन्न हो जाता है.

पहला दिन

इस दिन, भक्त सूर्योदय से पहले गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं, अर्थात स्नान करते हैं. इसके बाद घरों की सफाई की जाती है. चने की दाल, कद्दू और चावल का प्रसाद तैयार किया जाता है. इस प्रसाद को भक्त और उसका परिवार ग्रहण करता है. स्कंद पुराण में कहा गया है कि इसी दिन से छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

दूसरा दिन

खरना, छठ पूजा का दूसरा दिन है. इस दिन, भक्त लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी बनाते हैं. फिर भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. मान्यताओं के अनुसार, खरना के बाद छठी मैया घर में विराजमान हो जाती हैं.

तीसरा दिन

डूबते सूर्य को अर्घ्य ,छठ पूजा के तीसरे दिन, निर्जला व्रत रखते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह प्रसाद बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ और मिठाइयों के साथ सूर्य देव को चढ़ाया जाता है.

चौथा दिन

छठ पूजा के चौथे या अंतिम दिन, भक्त नदी तट पर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. फिर वे सात या ग्यारह परिक्रमा करते हैं. इसके बाद वे अपना व्रत तोड़ते हैं.

छठ पर्व कार्तिक माह के छठे दिन से शुरू होता है. यह नहाय खाय से शुरू होता है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होता है. इस दौरान, महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सुख, समृद्धि और अपने बच्चों की सलामती की कामना करती हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है

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