भाई दूज हिंदू धर्म का एक पवित्र त्योहार है, जो भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और सुरक्षा के रिश्ते का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. घरों में पूजा, दीपक और मिठाइयों का वातावरण होता है. लेकिन एक खास मान्यता यह भी है कि भाई दूज के दिन दीपक का बुझना अशुभ माना जाता है. यह मान्यता सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और मानवीय संदेश छिपा है.
दीपक बुझने की धार्मिक मान्यता
भाई दूज पर दीपक का बुझना अशुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि यह जीवन में आने वाले रुकावटों और अंधकार का संकेत माना गया है. यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, विश्वास और रोशनी को कभी खत्म नहीं होने देना चाहिए. दीपक बुझने का अर्थ केवल प्रतीकात्मक है. यह हमें बताता है कि हमें अपने रिश्तों और सकारात्मक सोच को हमेशा जीवित रखना चाहिए. इस दिन दीपक को जलाकर रखना “जीवन में उजाला बनाए रखने” का मानवीय संदेश देता है.
भाई दूज और बहन के स्नेह का प्रतीक
भाई दूज का दीपक केवल पूजा का हिस्सा नहीं होता, यह बहन के स्नेह और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है. बहन जब दीपक जलाती है, तो वह अपने भाई के जीवन में खुशियाँ, सफलता और लम्बी उम्र की कामना करती है. दीपक का बुझना इस भाव को अधूरा माना जाता है. इसलिए कहा जाता है कि बहनें दीपक को तब तक जलने दें जब तक पूजा पूरी न हो जाए, ताकि भाई-बहन के रिश्ते की गर्माहट और प्यार की रोशनी बनी रहे.
दीपक में छिपा आध्यात्मिक संदेश
दीपक हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटी-सी लौ उसे मिटा सकती है. भाई दूज पर दीपक का जलना जीवन में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बनाए रखने का प्रतीक है. जब हम दीपक बुझने से बचाते हैं, तो यह हमारे भीतर के विश्वास, उम्मीद और एकता की रक्षा करने का प्रतीक बनता है. इसीलिए यह परंपरा हमें आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाती है और सिखाती है कि जीवन का असली उजाला हमारे अंदर ही है.
दीपक बुझने से जुड़े धार्मिक उपाय
यदि भाई दूज पर दीपक गलती से बुझ जाए, तो इसे अशुभ नहीं बल्कि सावधानी का संकेत माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार ऐसे में पुनः दीपक जलाकर भगवान का स्मरण करें और मन में सकारात्मक सोच रखें. बहन-भाई मिलकर पुनः आरती कर सकते हैं ताकि वातावरण में शुभ ऊर्जा बनी रहे. यह क्रिया न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी होती है. इससे यह संदेश मिलता है कि हर गलती का समाधान “प्रकाश” से ही संभव है.