Udaipur News: एक ही मकान से 700 मतदाता…? वोटिंग लिस्ट में बड़ा घोटाला उजागर, क्या है सच?

Udaipur News: उदयपुर जिले के गोगुंदा विधानसभा क्षेत्र के बड़गांव से आई मतदाता सूची से जुड़ी शिकायत ने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया। जनसुनवाई के दौरान बड़गांव पंचायत प्रशासक सहित कुछ लोगों ने जिला कलेक्टर नमित मेहता को जनसुनवाई में बताया कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम दर्ज किए गए हैं। शिकायत में कहा गया कि एक ही मकान नंबर पर 700 से अधिक मतदाताओं के नाम अंकित हैं।

Published by Mohammad Nematullah

सतीश शर्मा की रिपोर्ट, Udaipur News: उदयपुर जिले के गोगुंदा विधानसभा क्षेत्र के बड़गांव से आई मतदाता सूची से जुड़ी शिकायत ने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया। जनसुनवाई के दौरान बड़गांव पंचायत प्रशासक सहित कुछ लोगों ने जिला कलेक्टर नमित मेहता को जनसुनवाई में बताया कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम दर्ज किए गए हैं। शिकायत में कहा गया कि एक ही मकान नंबर पर 700 से अधिक मतदाताओं के नाम अंकित हैं। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर मेहता ने गोगुंदा के उपखंड अधिकारी एवं मतदाता पंजीकरण प्राधिकारी (ईआरओ) को त्वरित जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि शिकायत तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक थी।

एक ही मकान से सैकड़ों मतदाता दर्ज

दरअसल, जांच में यह स्पष्ट हुआ कि मतदाता सूची में दर्ज अधिकांश लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हैं, जो उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) की जमीन पर अतिक्रमण करके बसे हुए हैं। उन्होंने अवैध रूप से कच्चे-पक्के मकान बना रखे हैं। चूंकि इन परिवारों के पास कोई वैध घर नंबर या अधिकृत पता नहीं है, इसलिए उन्हें नोशनल नंबर आवंटित कर मतदाता सूची में शामिल किया गया। यही कारण है कि सूची में एक ही मकान नंबर के अंतर्गत सैकड़ों नाम दर्ज दिखाई दिए, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि सूची में बोगस मतदाता जोड़े गए हैं। जिला कलेक्टर नमित मेहता ने बताया कि ईआरओ स्तर की जांच में यह साफ हो गया कि मतदाता सूची में फर्जी या बोगस नाम दर्ज करने का आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत है। फिर भी एहतियातन विस्तृत जांच कराई जा रही है ताकि किसी प्रकार की त्रुटि न रह जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार सुनिश्चित करना जरूरी है।

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मतदान प्रतिशत ने खोला राज

स्थायी पता न होने पर नोशनल नंबर के आधार पर नाम जोड़े जाते हैं, ताकि कोई भी नागरिक मतदान अधिकार से वंचित न हो। वही ये मामला राजस्थान में शहरी क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बसे हजारों परिवारों को किस तरह से व्यवस्थित पते और पहचान से जोड़ा जाए। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक इनके पुनर्वास और वैध आवास की स्थायी व्यवस्था नहीं होती, तब तक प्रशासन द्वारा नोशनल नंबर प्रणाली ही व्यावहारिक विकल्प है। बहरहाल बड़गांव में एक ही मकान नंबर पर 700 मतदाताओं के दर्ज होने की शिकायत मात्र अफवाह साबित हुई। जिला प्रशासन की माने तो सभी वास्तविक लोग हैं, जिन्हें वैध मकान नंबर न होने के कारण नोशनल नंबर से सूचीबद्ध किया गया है।

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