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Hathras Stations: हाथरस में क्यों हैं पांच रेलवे स्टेशन? इसके रेल नेटवर्क के पीछे की क्या है वजह?

Hathras Stations: हाथरस जिले में पांच रेलवे स्टेशन हैं, जो अलग-अलग जरूरतों के लिए बने हैं. यात्री सेवा, माल ढुलाई और ऐतिहासिक कारणों ने इसे रेल नेटवर्क का खास हिस्सा बनाया है.

By: sanskritij jaipuria | Published: December 16, 2025 12:09:01 PM IST



Hathras Stations: उत्तर प्रदेश का हाथरस जिला आकार में छोटा जरूर है, लेकिन एक बात इसे खास बनाती है. यहां कुल पांच रेलवे स्टेशन हैं. आमतौर पर इतने छोटे जिले में इतने स्टेशन होना लोगों को हैरान करता है. इसके पीछे इतिहास, रेलवे लाइनें और शहर की जरूरतें जुड़ी हुई हैं.

हाथरस जंक्शन जिले का सबसे बड़ा और अहम रेलवे स्टेशन है. ये दिल्ली–हावड़ा रेल मार्ग के दिल्ली–कानपुर हिस्से पर स्थित है. यहां से दिल्ली, गाजियाबाद, आगरा, इटावा और कानपुर जैसी दिशाओं में ट्रेनें जाती हैं. रोजाना बड़ी संख्या में यात्री यहां से सफर करते हैं. कई मेन ट्रेनें इसी स्टेशन पर रुकती हैं, जिससे ये जिले का मुख्य केंद्र बन गया है.

 हाथरस रोड 

हाथरस रोड एक छोटा स्टेशन है, जो कासगंज जाने वाली लाइन पर पड़ता है. पहले ये मीटर गेज लाइन पर बना था, जिसे बाद में ब्रॉडगेज में बदला गया. हाथरस जंक्शन के पास होने के बावजूद ये स्टेशन अपनी अलग पहचान रखता है. ये स्टेशन मथुरा और कासगंज के बीच रेल संपर्क का अहम हिस्सा रहा है.

 हाथरस सिटी 

हाथरस सिटी रेलवे स्टेशन शहर की घनी आबादी के पास स्थित है. ये स्टेशन जंक्शन से कुछ दूरी पर है. पहले यहां भी मीटर गेज लाइन थी, जिसे बाद में ब्रॉडगेज में बदला गया. शहर के लोगों के लिए ये स्टेशन सफर को आसान बनाता है.

 हाथरस किला 

हाथरस किला रेलवे स्टेशन यात्री ट्रेनों के लिए नहीं, बल्कि मालगाड़ियों के लिए इस्तेमाल होता है. इस स्टेशन का इतिहास काफी पुराना है. इसे किले से जुड़े सामान की ढुलाई के लिए बनाया गया था. ये लाइन आगे किसी दूसरे ट्रैक से नहीं जुड़ती, इसलिए इसे अंतिम स्टेशन माना जाता है.

 न्यू हाथरस 

न्यू हाथरस स्टेशन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के तहत बनाया गया है. ये स्टेशन भारतीय रेलवे के सामान्य यात्री नेटवर्क का हिस्सा नहीं है. यहां केवल मालगाड़ियां चलती हैं और इसका मकसद भारी सामान की तेज और सुरक्षित ढुलाई है.

 अलग-अलग जरूरतों से बने स्टेशन

हाथरस में पांच रेलवे स्टेशन बनने की वजह शहर का आकार नहीं, बल्कि अलग-अलग समय में बनी रेल लाइनें और उनकी जरूरतें हैं. यात्री सेवा, माल ढुलाई और ऐतिहासिक कारणों ने मिलकर इस छोटे से जिले को रेलवे के लिहाज से खास बना दिया है.

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