Home > अजब गजब न्यूज > गंदा, धंधा और उम्मीद! यहां वैश्याओं को नोंच खाते दरिंदे; ‘जिस्म की मंडी’ में मिटाते घर-दफ्तर की थकान

गंदा, धंधा और उम्मीद! यहां वैश्याओं को नोंच खाते दरिंदे; ‘जिस्म की मंडी’ में मिटाते घर-दफ्तर की थकान

पश्चिम बंगाल का सोनागाछी एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया माना जाता है, जहां 'देह का बाज़ार' लगता है। इन गलियों में कई महिलाओं की सिसकियां गूंजती । इसे मजबूरी कहें या बदकिस्मती, इन महिलाओं की ज़िंदगी नर्क से भी बदतर है।

By: Mohammad Nematullah | Last Updated: September 10, 2025 2:24:24 PM IST



Sonagachi Red Light Area: दुनिया भर में कई ऐसी जगहें हैं जहां बड़े-बड़े रेड लाइट एरिया हैं। ऐसी तमाम जगहों पर जिस्म की मंडी सजती है, जहां कोई भी पुरुष पैसे देकर किसी महिला की इज़्ज़त का सौदा करता है। वो महिला भी चंद रुपयों के लिए अपने जिस्म की बलि दे देती है। वैसे तो भारत में वेश्यावृत्ति गैर-कानूनी है, लेकिन इसके बावजूद कलकत्ता से लेकर दिल्ली तक, बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक, हर जगह आपको ऐसे इलाके मिल जाएंगे जहां ये गंदा धंधा होता है। इतना ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया भी भारत के पश्चिम बंगाल में मौजूद है, जिसका नाम सोनागाछी है। हाल ही में ये जगह तब सुर्खियों में आई जब यहां की महिलाओं ने मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए अपने आंगन की मिट्टी देने से इनकार कर दिया। इसकी वजह आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर की हत्या थी। 

मूर्तिकारीगर लाते हैं वैश्याओं के कोठे की मिट्टी

आपको जानकारी बता दें कि इस रेड लाइट एरिया की मिट्टी से मां दुर्गा की मूर्ति बनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। हालांकि, मां दुर्गा की मूर्ति के लिए लोग यहां से मिट्टी ले जाते हैं, लेकिन यहां की महिलाओं को वो इज्जत आज भी नसीब नहीं है, जो अन्य महिलाओं को मिलती है। एक तरफ जहां हर महिला सम्मान से भरी जिंदगी की ख्वाहिश रखती है। दूसरी ओर, यहां की महिलाओं को न सिर्फ़ चंद रुपयों के लिए अपना जिस्म बेचना पड़ता है, बल्कि यहां आने वाले मर्द गंदी-गंदी गालियां भी सुनाते हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, घर की गरीबी या किसी तरह की मज़बूरी के कारण ये महिलाएं जिस्म फरोशी के इस दलदल में फंसती चली जाती है। सोनागाछी ऐसी ही महिलाओं के दर्दभरे कहानियों से भरा हुआ है। हाल ही में वहां की एक महिला ने अपनी जिंदगी के कुछ अनछुए और भयानक पहलू के बारे में बताया।

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वो कोना जिसे दुनिया सोनागाछी कहती है 

25 सालों से सोनागाछी में रह रही ममनी ने बताया कि जब वह शुरुआत में यहां आई थीं, तो मर्दों का व्यवहार बेहद गंदा था, जिसे झेलना बहुत मुश्किल था। मर्दों को लगता था कि हम इंसान नहीं जानवर हैं। ऐसे लोग आते ही प्रहार कर देते थे। कोई उसे नोंचता था तो कोई गंदी-गंदी गालियां देता था। ममनी ने बताया कि जब दर्द असहनीय हो जाता तो वह अक्सर अपने ग्राहकों को कमरे से बाहर धकेल देती थीं। लेकिन इससे उन मर्दों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। वो किसी और वर्कर के पास चले जाते थे। कुछ लोग तो कानों में भी गालियां बकते। वे उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाते थे। ममनी ने बताया कि उनके पास ऐसे कस्टमर भी आते हैं जो उनसे अजीबोगरीब डिमांड करते हैं, जैसे उन्हें दर्द और तकलीफ देना। ऐसे लोग अपने मन की कुंठा को शांत करते हैं। हालांकि, पिछले कुछ सालों में उन्हें इन सबकी आदत हो गई है। अब वह समझ गई हैं कि ये लोग अपने घरों की फ्रस्ट्रेशन निकालने आते हैं।

जानें सोनागाछी का मतलब

सोनागाछी का मतलब सोने का पेड़ होता है। लेकिन अगर इसे शब्दों में तोड़ा जाए, तो बहुत बड़ा मायने निकलता है। दरअसल, गाछी छोटा सा पौधा होता है, जो पेड़ बनता है। ऐसे में इसका असली मतलब सोने का एक छोटा सा पेड़ है। तो क्या इसे युवा लड़कियों से जोड़ना गलत होगा? हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। लेकिन सोनागाछी में देह का व्यापार सालों से चला आ रहा है। पहले इसे एक मशहूर बंगाली परिवार चलाता था। लेकिन अब यहां ज़्यादातर टूटे-फूटे और जर्जर कोठे हैं, जहां कई महिलाएं अपनी नर्क सी जिंदगी भोग रही हैं।

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