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15 दिन की शादी, मजे के लिए निकाह? Contractual शादियों की जंजीर से जकड़ी मुस्लिम औरतें, किसी श्राप से कम नहीं ये कुप्रथा

Nikah al Mutah Islamic Wedding Tradition: 'निकाह मुताह' एक प्राचीन इस्लामी प्रथा है। इस प्रथा में एक पुरूण और एक महीला विवाह में बंध जाते हैं। लेकिन यह निकाह सीमित समय के लिए होता है।

By: Preeti Rajput | Last Updated: July 12, 2025 10:49:16 AM IST



Nikah al Mutah Islamic Wedding Tradition: हर धर्म में अलग-अलग प्रथाएं और मान्यताएं होती हैं। लेकिन ये बात भी सच है कि धर्म में ही कई कुप्रथाएं भी होती हैं। जिनका इस्तेमाल रूढ़िवादी लोग कमजोर वर्ग का शोषण करने के लिए करते हैं। आज हम एक ऐसी कुप्रथा के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। इसी तरह की एक कुप्रथा निकाह मुतह है, जिसमें शादी केवल एक कॉन्ट्रैक्ट होती है। इसी कारण इसकी बहुत आलोचना भी की जाती है। ये कुप्रथा इस्लाम धर्म में प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि तीन तलाक के बाद मुस्लिम महिलाएं जिसपर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही हैं, वह निकाह मुताह है। मुताह शब्द का मतलब खुशी, मजा या लाभ होता है। ऐसे में ये शब्द ही विवाह जैसे पवित्र रिश्ते के उद्देश्य पर सवाल खड़े कर देता है। क्या है ‘निकाह मुताह’ ? 

एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘निकाह मुताह’ एक प्राचीन इस्लामी प्रथा है। इस प्रथा में एक पुरूण और एक महीला विवाह में बंध जाते हैं। लेकिन यह निकाह सीमित समय के लिए होता है। जानकारी के मुताबिक, कई हजारों साल पहले पुरुषों ने लंबी दूरी की यात्रा करते हुए अपनी पत्नी को कम समय के लिए अपने साथ रखने के लिए इस तरह की प्रथा का सहारा लिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुन्नी मुसलमान निकाह मुताह का पालन नहीं करते हैं। 

क्या है निकाह की अनिवार्य शर्ते? 

जानकारी के मुताबिक, निकाह मुताह में कई अऩिवार्य शर्ते और नियम हैं। जैसे दोनों पक्षों की आयू 15 साल की अधिक होनी चाहिए, दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है, पत्नियों की संख्या में किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। निकाहनामा में रॉयल्टी और दहेज की अवधि का उल्लेख किया जाना बेहद जरूरी है, इस दौरान दोनों के बीत शारीरिक संबंध बन सकता है, इस तरह के विवाह से बच्चे वैध माने जाएंगे और माता-पिता दोनों की संपत्ति पर बच्चों का अधिकार माना जाएगा। निकाह मुताह में पत्नी व्यक्तिगत कानून के तहत रखरखाव का दावा नहीं कर सकती है। 

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महिलाओं के लिए अभिशाप है ये प्रथा 

इस निकाह में कई ऐसे कारण भी है जिसके कारण शादी रद्द हो सकती है। यह कुप्रथा केवल महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है। शादी की अवधी पूरी होने के बाद भी महीला का जीवन सामान्य नहीं हो पता है। उस महिला को इद्दत की रस्म निभानी होती है। यह रस्म चार महीने से दस महीने तक चलती है। जिसमें महिला को पुरुष की छाया से दूर एकांत में रहना पड़ता है। तभी उसे पुनर्विवाह के योग्य माना जाता है। 

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