Touch Wood meaning: अक्सर किसी अच्छी बात का जिक्र होते ही लोग जल्दी से लकड़ी को छू लेते हैं और कहते हैं- टच वुड. ये सुनने में एक मामूली आदत लगती है, लेकिन इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं. ये परंपरा केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और मनोविज्ञान से जुड़ी हुई है. इतिहासकारों के अनुसार ये मान्यता प्राचीन पगान सभ्यताओं से निकलकर आई. खास तौर पर सेल्टिक लोगों का विश्वास था कि पेड़ों में आत्माएं और देवी-देवता निवास करते हैं.
जब वे किसी पेड़ को छूते थे, तो उन्हें लगता था कि वे किसी दैवीय शक्ति से संपर्क कर रहे हैं या बुरी ताकतों से अपनी खुशकिस्मती की रक्षा कर रहे हैं. उनके लिए ये एक तरह का आशीर्वाद मांगने का तरीका भी था. एक मान्यता ईसाई परंपरा से भी जुड़ती है. कहा जाता है कि ईसा मसीह के क्रूस से जुड़ी पवित्र लकड़ी को छूना शुभ माना जाता था. धीरे-धीरे ये आस्था लोगों के रोजमर्रा के व्यवहार में शामिल हो गई और “टच वुड” एक आम कहावत बन गई.
लकड़ी ही क्यों?
पुराने समय में लकड़ी को जीवन और ऊर्जा का प्रतीक माना गया. घर, औजार, आसरा सब कुछ लकड़ी से बनता था. लोग मानते थे कि लकड़ी को छूने से उसके भीतर छिपी सकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है और नकारात्मकता दूर रहती है. ये प्रकृति के प्रति सम्मान का संकेत भी था.
मनोविज्ञान क्या बताता है?
एक शोध के अनुसार, जब लोग किसी अच्छी बात का जिक्र करते समय लकड़ी छूते हैं, तो उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वे संभावित परेशानी को खुद से दूर कर रहे हैं. ये एक तरह की मानसिक सुरक्षा है एक छोटा-सा इशारा, जो अनजाने में मन को शांत कर देता है. यानी “टच वुड” कहना केवल परंपरा नहीं, बल्कि चिंता कम करने का मनोवैज्ञानिक तरीका भी है.
दुनिया भर में अलग-अलग रूप
हर देश में इस आदत का अपना रूप है-
भारत और ब्रिटेन में लोग कहते हैं “टच वुड”
अमेरिका और कनाडा में इसे “नॉक ऑन वुड” कहा जाता है
तुर्की में लोग लकड़ी पर दो बार ठक-ठक करते हैं
ब्राजील में इसे bater na madeira कहा जाता है
मॉडर्न समय में इसका मतलब
आज विज्ञान का दौर है, फिर भी “टच वुड” कहना आम बात है. कई लोग इसे बस एक शिष्टाचार की तरह इस्तेमाल करते हैं- जैसे कह रहे हों, “अभी सब ठीक है, उम्मीद है आगे भी ठीक रहेगा.” ये आदत अब भाग्य से ज्यादा विनम्रता और सावधानी की निशानी बन चुकी है.