Shiv Temple in Pakistan: सावन हिंदू धर्म का सबसे पवित्र महीना है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन की शुरूआत 11 जुलाई से हो गई थी और 9 अगस्त 2015 तक रहेगा। सावन शुरू होते ही चारों तरफ केवल भगवान शिव के जयकारे सुनाई पड़ रहे हैं। भक्त प्रभू की भक्ति में लीन है। शिवभक्तों में भक्ति, श्रद्धा और जोश देखने को मिल रहा है। भारत में चारों तरफ ‘ऊं नम: शिवाय’ सुनाई दे रहा है। लेकिन यह नजारा सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी दिखाई दे रहा है। यहां भी कुछ स्थानों पर लोग शिव की भक्ति में डूबे हुए नजर आ रहे हैं।
दरअसल सावन के महीने में लोग दूर-दूर से पाकिस्तान में मौजूद शिव मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां कुछ मंदिर तो ऐसे हैं जो केबल महाशिवरात्रि और सावन जैसे मौके पर खुलते हैं।
सियालकोट पाकिस्तान का शिव मंदिर- पाकिस्तान में मौजूद सियालकोट भारत के बेहद करीब है। यहां भगवान शिव का एतिहासिक शिव मंदिर मौजूद है। विभाजन से पहले यह प्रमुख धार्मिक स्थल हुआ करता था। आज भी लोग यहां शिवरात्रि और सावन में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर को सरदार तेजा सिंह ने बनवाया था। हालांकि भारत-पाक विभाजन के बाद इस मंदिर को बंद कर दिया गया। इस मंदिर को 1992 में तोड़ने की भी कोशिश की गई थी। लेकिन 2015 में इसकी मरम्मत हुई।
कटासराज शिव मंदिर- कटासराज शिव मंदिर को हिंदुओं का प्रमुख तीर्थस्थल माना जाता है। यह पाकिस्तान के पंजाब में मौजूद है। मान्यता के अनुसार, यहां सति नें ग्निकुंड में आत्मदाह किया था तब शिव की आंखों से दो बूंद आंसू इसी स्थान पर टपक गए थे। एक आंसू सरोवर अमृत कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं दूसरा अजमेर में पुष्कर राज तीर्थ स्थल बना।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर- यह शिवमंदिर पाकिस्तान की राजधानी कराची में मौजूद है। यहां शिव के साथ कई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं। पाकिस्तान में रह ने वाले हिंदू यहां प्रतिदिन जलाभिषेक और पूजन के लिए आते हैं।
उमरकोट शिव मंदिर- सिंध प्रांत के उमरकोट में एक प्राचीन मंदिर हैं। यह मंदिर एक हजार साल पुराना है। इस मंदिर को विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर तब बना था, जब भारत में खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर बना था।
मनसहेरा शिव मंदिर- पाकिस्तान के चित्ती गट्टी इलाके में मनसहेरा शिव मंदिर मौजूद है। इस मंदिर का गर्भगृह करीब 2000 साल पुराना है। यहां रोज पुजा नहीं होती हैं, लेकिन शिवरात्रि और सावन में भक्तो की भीड़ लग जाती है।