Home > देश > Veer Bal Diwas 2025: गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत और बाल वीरता की अमर कहानी, यहां जानें उनके साहस के किस्से

Veer Bal Diwas 2025: गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत और बाल वीरता की अमर कहानी, यहां जानें उनके साहस के किस्से

Sahibzade Shaheedi Diwas: वीर बाल दिवस मनाने का उद्देश्य उन बाल वीरों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने कम उम्र में ही अत्याचार, अन्याय और जबरन धर्म परिवर्तन के सामने झुकने से इनकार कर दिया.

By: Shubahm Srivastava | Published: December 25, 2025 8:03:23 PM IST



Veer Bal Diwas: भारत में वीर बाल दिवस हर वर्ष 26 दिसंबर को मनाया जाता है. यह दिन साहस, त्याग और धर्म के लिए बलिदान की उस अद्वितीय मिसाल को याद करने के लिए समर्पित है, जो सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों ने पेश की थी. यह दिवस केवल इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नैतिक साहस, सत्य और आत्मसम्मान के मूल्यों से जोड़ने का प्रयास है.

वीर बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?

वीर बाल दिवस मनाने का उद्देश्य उन बाल वीरों को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने कम उम्र में ही अत्याचार, अन्याय और जबरन धर्म परिवर्तन के सामने झुकने से इनकार कर दिया. विशेष रूप से यह दिन छोटे साहिबजादों — बाबा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष) के बलिदान को समर्पित है, जिन्हें 1705 ईस्वी में सरहिंद में मुगल सूबेदार वज़ीर खान ने ज़िंदा दीवार में चिनवा दिया था, क्योंकि उन्होंने इस्लाम स्वीकार करने से मना कर दिया था.

साहस की कहानी क्या है?

1705 में आनंदपुर साहिब से निकलते समय गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार पर मुगल सेना ने हमला किया. इस दौरान परिवार बिखर गया. गुरु जी की माता माता गुजरी और दोनों छोटे साहिबजादे पकड़े गए और सरहिंद ले जाए गए. वहां बच्चों को लालच, डर और यातनाओं के बावजूद धर्म बदलने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इतनी कम उम्र में भी साहिबजादों ने अडिग रहकर अपने विश्वास की रक्षा की. उनका यह बलिदान भारतीय इतिहास में बाल साहस और धर्मनिष्ठा का सबसे उज्ज्वल उदाहरण माना जाता है.

गुरु गोबिंद सिंह जी से इसका क्या संबंध है?

वीर बाल दिवस का सीधा संबंध गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन, दर्शन और बलिदान से है. गुरु जी ने अपने बच्चों को बचपन से ही साहस, समानता, आत्मसम्मान और धर्म की रक्षा के मूल्य सिखाए थे. उनके चारों पुत्रों ने इन्हीं आदर्शों पर चलते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया.

 बड़े साहिबजादे — बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह — ने चमकौर की लड़ाई में वीरगति पाई.
 छोटे साहिबजादे — बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह — ने शहादत स्वीकार की, लेकिन अपने धर्म से विमुख नहीं हुए.

इस प्रकार, वीर बाल दिवस गुरु गोबिंद सिंह जी के उस संदेश को जीवित रखता है, जिसमें कहा गया था कि “धर्म की रक्षा के लिए उम्र नहीं, हिम्मत मायने रखती है.”

इस दिन की शुरुआत कैसे हुई?

भारत सरकार ने वर्ष 2022 में आधिकारिक रूप से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित किया. इसका उद्देश्य देशभर में बच्चों और युवाओं को इन ऐतिहासिक बलिदानों से परिचित कराना और उनमें नैतिक साहस, देशभक्ति और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना था.

इस वर्ष किन वीर बच्चों को किया जाता है सम्मानित?

वीर बाल दिवस के अवसर पर देशभर से चुने गए बहादुर बच्चों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में असाधारण साहस, मानवता और जिम्मेदारी का परिचय दिया हो. इनमें ऐसे बच्चे शामिल होते हैं जिन्होंने—

 -किसी की जान बचाई हो
 -प्राकृतिक आपदा में साहसिक कार्य किया हो
 -सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाई हो
 -अपने कर्तव्य और मूल्यों के लिए जोखिम उठाया हो

इन बच्चों को विभिन्न मंचों पर सम्मान देकर यह संदेश दिया जाता है कि आज के समय में भी वीरता केवल युद्धभूमि तक सीमित नहीं है, बल्कि रोज़मर्रा के जीवन में भी दिखाई देती है.

वीर बाल दिवस का महत्व

वीर बाल दिवस केवल अतीत की याद नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए प्रेरणा है. यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चाई, साहस और आत्मसम्मान के लिए खड़े होने की ताकत उम्र की मोहताज नहीं होती. गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके साहिबजादों का बलिदान भारत की आत्मा में रचा-बसा है, और वीर बाल दिवस उसी अमर गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम है.

Atal Bihari Vajpayee Birthday Special: मैं ऐराब… मैं वितार…पढ़िए अटल जी की वो कविता और पत्र जो कभी प्रकाशित ही नहीं हुई!

Advertisement