अमोद तिवारी की रिपोर्ट, Uttar Pradesh Crime News: फर्रुखाबाद में निजी अस्पतालों संचालकों की मनमानी और लापरवाही का एक और बड़ा मामला सामने आया है। आवास विकास स्थित लोटस हॉस्पिटल में रविवार को भर्ती हुई प्रसूता महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जानकारी के अनुसार, फतेहगढ़ के ग्राम रामनगर कुटरा कर्बला निवासी गोविन्द ने रविवार शाम अपनी पत्नी 26 वर्षीय हर्षिता को लोटस हॉस्पिटल आवास विकास में भर्ती कराया था। परिजनों ने बताया कि महिला की डिलीवरी ऑपरेशन से की गई थी। डॉक्टर स्मिता शाक्य द्वारा ऑपरेशन करने के बाद महिला ने शिशु को जन्म दिया था और माँ-बेटा दोनों सुरक्षित थे।
परिजनों का आरोप
परिजनों का कहना है कि सोमवार सुबह लगभग 4 बजे हर्षिता की तबीयत अचानक बिगड़ गई। इस पर जब परिजनों ने स्टाफ को डॉक्टर बुलाने को कहा तो अस्पताल कर्मियों ने टालमटोल करते हुए केवल महिला को पानी पिलाने की बात कही। इसी बीच महिला की हालत और ज्यादा खराब हो गई। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि स्टाफ द्वारा महिला को गलत इंजेक्शन लगाया गया, जिसके चलते उसकी मौत हो गई। महिला की मौत के बाद परिजनों ने जब मेडिकल फाइल मांगी तो स्टाफ ने वह भी नहीं दी। आरोप है कि परिजन जैसे ही सवाल-जवाब करने लगे तो अस्पताल का पूरा स्टाफ मौके से फरार हो गया। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों को भी जल्दबाजी में दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट कर दिया गया।
पुलिस मौके पर पहुची
हर्षिता की मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया और गुस्साए लोग अस्पताल में हंगामा करने लगे। सूचना पर डायल 112 पुलिस मौके पर पहुँची और परिजनों से जानकारी ली। लेकिन अस्पताल में न डॉक्टर मिला और न ही रिसेप्शन पर कोई कर्मचारी। बाद में थाना कादरीगेट पुलिस भी पहुँच गई और मामले की जांच शुरू कर दी। 26 वर्षीय हर्षिता की शादी को महज एक साल हुआ था। परिवार और रिश्तेदारों का रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों का कहना है कि उन्हें केवल अपनी बहू की मौत का गम नहीं बल्कि यह भी दर्द है कि इलाज के नाम पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी ने उनकी जान ले ली। परिजन साफ कह रहे हैं कि इस घटना में अस्पताल प्रबंधन की सीधी लापरवाही है और उन्हें इंसाफ चाहिए। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर पल्ला झाड़ लेता है।

