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Surat: भगवन गणेश और माँ लक्ष्मी की अनोखी मूर्ती का निर्माण, विश्व रिकॉर्ड में किया जाएगा शामिल

Surat: भगवन गणेश और माँ लक्ष्मी की अनोखी मूर्ती का निर्माण, विश्व रिकॉर्ड में किया जाएगा शामिल, कला का अद्भुत उदाहरण है यह मूर्ती

Published by Swarnim Suprakash

सूरत से सुनील प्रजापति की रिपोर्ट 
Surat: एक अनोखी और गौरवपूर्ण खबर सामने आई है। हीरा और सोने के उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध इस शहर के ज्वैलर्स ने एक ऐसा काम किया है, जो न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए गर्व की बात है। सूरत के ज्वैलर्स ने दुनिया की सबसे छोटी 22 कैरेट शुद्ध सोने की गणेश प्रतिमा और लक्ष्मी प्रतिमा तैयार की है। खास बात यह है कि यह प्रतिमाएँ डिजिटल डिज़ाइन और 3D प्रिंटिंग तकनीक के जरिए बनाई गई हैं और इनमें बारीक से बारीक नक्काशी तक देखने को मिलती है।

विश्व रिकॉर्ड में किया जाएगा शामिल

सूत्रों के मुताबिक, गणेश प्रतिमा केवल एक इंच की है और उसका वजन 10 ग्राम है। इतनी छोटी लेकिन बेहद आकर्षक और भव्य प्रतिमा बनाने का यह पहला प्रयास है, जिसे विश्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इसी तरह, लक्ष्मी माता की प्रतिमा भी 10 ग्राम वजन की बनाई गई है। दोनों प्रतिमाओं को एंटीक फिनिशिंग दी गई है, जिससे इनका रूप पारंपरिक आभा के साथ आधुनिक तकनीक का मेल प्रतीत होता है। इन प्रतिमाओं की शुद्धता और गुणवत्ता को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने प्रमाणित किया है, जो इन्हें और अधिक विश्वसनीय बनाता है।

गणेश चतुर्थी के अवसर पर ये सोने के गणपति घर में स्थापित किए जाएंगे

ज्वैलर्स का कहना है कि इस बार विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के अवसर पर ये सोने के गणपति घर में स्थापित किए जाएंगे। परंपरागत रूप से गणपति विसर्जन जल या नदी में किया जाता है, लेकिन इन प्रतिमाओं को विशेष रूप से बनाए जाने के कारण एक अनोखी परंपरा अपनाई जाएगी। विसर्जन के दिन प्रतिमाओं को पंचामृत से स्नान कराकर विधि-विधान से “प्रतीकात्मक विसर्जन” किया जाएगा और फिर वापस मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना और धार्मिक आस्था को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ना है।

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कला का अद्भुत उदाहरण है यह मूर्ती

सूरत के ज्वैलर्स का यह प्रयास सोने-चांदी के शिल्प को एक नई पहचान दिलाने वाला है। छोटी सी मूर्ति में बारीकी से की गई कारीगरी न सिर्फ कला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह तकनीक और परंपरा के मेल की झलक भी देती है। डिजिटल डिज़ाइन और 3D प्रिंट तकनीक का इस्तेमाल करके धार्मिक आस्था के प्रतीकों को नए आयाम देना भविष्य के लिए भी एक प्रेरणा है।

“सोने के गणपति” भी बनेंगे सूरत की शान

निश्चित रूप से, यह उपलब्धि सूरत की पहचान को और मजबूत करेगी। हीरा नगरी के बाद अब “सोने के गणपति” भी सूरत की शान बनेंगे। यह सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि भारतीय कारीगरी और नवाचार का भी उज्ज्वल उदाहरण है।

Swarnim Suprakash
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