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पूजा-पाठ, लोगों की मदद करने वाला मनोजीत, आखिर कैसे बन गया लॉ कॉलेज का ‘हैवान’, ये Video खोलेगा सारे राज!

मुख्य आरोपी, पूर्व छात्र और तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) के दक्षिण कोलकाता जिले के वर्तमान आयोजन सचिव, मनोजीत मिश्रा (31) के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसे सामूहिक बलात्कार मामले में गिरफ्तार किया गया है।

By: Shubahm Srivastava | Published: June 29, 2025 4:29:16 PM IST



South Kolkata Law College Rape Case : दक्षिण कलकत्ता लॉ कॉलेज में 25 जून को,एक 24 वर्षीय लॉ की छात्रा के साथ परिसर के अंदर क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया, जिसमें कथित तौर पर मोनोजीत मिश्रा (पूर्व टीएमसीपी नेता) ने दो छात्रों और कॉलेज के सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया। मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर काटने के निशान, उसकी गर्दन और छाती पर खरोंच और जबरदस्ती के निशान की पुष्टि हुई है। 

आरजी कर में एक पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के नृशंस बलात्कार और हत्या के एक साल से भी कम समय बाद यह मामला सामने आया है, जिसने कोलकाता परिसरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

साइको है मनोजीत?

इस बीच, मुख्य आरोपी, पूर्व छात्र और तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) के दक्षिण कोलकाता जिले के वर्तमान आयोजन सचिव, मनोजीत मिश्रा (31) के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है, जिसे सामूहिक बलात्कार मामले में गिरफ्तार किया गया है। अपने जूनियर और पूर्व सहपाठियों का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मिश्रा उर्फ ​​मैंगो ने लंबे समय से साइकोपैथिक और यौन हिंसा के लिए झुकाव प्रदर्शित किया था। 

उन्होंने कहा कि मिश्रा को 2021 में कॉलेज की तृणमूल इकाई से निष्कासित कर दिया गया था, जो बलात्कार पीड़िता सहित परिसर में कई अन्य लड़कियों को ‘तुई अमय बिये कोरबी (मुझसे शादी करोगी)?’ जैसे एक-लाइनर के साथ निशाना बनाता था।

वहीं अगर आप @monojit.mishra.7 की प्रोफाइल पर जाकर देखेंगे तो वहां पर एक अलग ही मनोजीत दिखाई देगा, जो पूजा-पाठ करता है, लोगों की मदद करता है। आरजी कर रेप केस को लेकर भी उसने पोस्ट किया था। किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये शख्स इतना गंदा काम कर सकता है। 

पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना हो रही है। आरोप है कि एक तरफ अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज किया गया, वहीं दूसरी तरफ आरोपी की पहचान जानबूझकर धुंधली की गई, जिससे न्याय मिलने की प्रक्रिया कमजोर हो सकती है।

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