Shashi Tharoor: शशि थरूर ने एक बार फिर कांग्रेस को शर्मसार कर दिया है। शशि थरूर ने आपातकाल पर बड़ी टिप्पणी करते हुए इसे एक काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि आपातकाल एक सबक है, लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि आपातकाल को भारत के इतिहास के केवल एक काले अध्याय के रूप में याद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इससे मिले सबक को पूरी तरह से समझा जाना चाहिए और लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया था।
गुरुवार(10 जुलाई) को मलयालम दैनिक ‘दीपिका’ में इमरजेंसी पर प्रकाशित एक लेख में, कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य शशि थरूर ने 25 जून, 1975 और 21 मार्च, 1977 के बीच तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले दौर को याद किया। उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के प्रयास अक्सर क्रूर कृत्यों में बदल जाते थे जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता था।
इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी करवाई थी
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने लिखा, “इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया था जो इसका एक गंभीर उदाहरण बन गया। पिछड़े ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हिंसा और बल का इस्तेमाल किया गया। नई दिल्ली जैसे शहरों में, झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त और साफ किया गया। हज़ारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।”
आज का भारत 1975 जैसा नहीं है
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे हल्के में लिया जाए, यह एक अनमोल विरासत है जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। थरूर ने कहा, “यह एक ऐसी बात है जिसे सभी को हमेशा याद रखना चाहिए।” शशि थरूर के अनुसार, आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि हम अधिक आत्मविश्वासी, अधिक विकसित और कई मायनों में अधिक मज़बूत लोकतंत्र हैं। फिर भी, आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं।
थरूर ने किसे चेतावनी दी
शशि थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता का केंद्रीकरण, असहमति को दबाने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने की प्रवृत्तियाँ विभिन्न रूपों में फिर से उभर सकती हैं। थरूर ने कहा, ‘हमेशा ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर सही ठहराया जा सकता है। इस मायने से इमरजेंसी एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के प्रहरियों को सदैव सजग रहना चाहिए।”