Sharda University Suicide Case: ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय में एक छात्रा द्वारा आत्महत्या करने के मामले पर अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी का बयान सामने आया है। लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि पहले ओडिशा की एक छात्रा को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा और अब शारदा विश्वविद्यालय में ऐसी दुखद घटना सामने आई है। उन्होंने पूछा कि क्या हमारे शिक्षण संस्थान हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं? जहाँ जीवन ही सुरक्षित नहीं है, वे बेहतर जीवन का सपना कैसे देख पाएँगे?
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक छात्रा ने शिक्षकों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली है। लड़कियाँ जीवन के हर पड़ाव पर दोगुना संघर्ष करके आगे बढ़ती हैं। ऐसी घटनाएँ देश भर की लड़कियों को हतोत्साहित कर रही हैं। केंद्र सरकार को इन मामलों का संज्ञान लेना चाहिए और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि किसी भी परिसर में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा थी ज्योति
दरअसल, गुरुग्राम के अशोक विहार निवासी ज्योति शारदा विश्वविद्यालय में बीडीएस द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी। शुक्रवार को उसने मंडेला गर्ल्स हॉस्टल के कमरे में अचानक फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने के साथ ही छात्रा ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। जिसमें छात्रा ने अपनी मौत के लिए विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों को ज़िम्मेदार ठहराया है। घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने आनन-फानन में दोनों प्रोफेसरों को निलंबित कर दिया है और पुलिस ने भी मामले की जाँच शुरू कर दी है।
छात्रा ने सुसाइड नोट में लिखा है कि माफ़ करना, मैं अब और नहीं जी सकती। महेंद्र सर और शेरी मैम ने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित और अपमानित किया। मैं उनकी वजह से काफी समय से डिप्रेशन में थी। इसके बाद छात्रा ने खुद को हॉस्टल के कमरे में बंद कर लिया और फांसी लगा ली। ज्योति ने सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि मैं चाहती हूँ कि उन दोनों प्रोफेसरों को भी यही सज़ा मिले। मैं चाहती हूँ कि वे जेल जाएँ।
छात्रों ने पीड़ित परिवार के लिए उठाई न्याय की मांग
आत्महत्या की घटना के बाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने हंगामा किया और पीड़ित परिवार के लिए न्याय की माँग की। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुँच गई। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और छात्रों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। जैसे ही छात्रा के परिवार वालों को सूचना मिली, वे भी विश्वविद्यालय पहुँच गए।
फर्जी हस्ताक्षर का आरोप
छात्रों ने बताया कि ज्योति पर अपने ही अभिभावक के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया गया था। यह आरोप कॉलेज प्रबंधन ने लगाया था, जिसके बाद से वह काफी परेशान थी। इधर, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को छात्रा को प्री क्लिनिकल प्रोस्थोडॉन्ट (पीसीपी) विभाग से भगा दिया गया और फाइल विभागाध्यक्ष के पास भेज दी गई। विभागाध्यक्ष ने फर्जी हस्ताक्षर के लिए अभिभावकों को बुलाने की बात कही और दावा किया कि आपने खुद फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं। सोमवार को जब उसके अभिभावक आए, तब ज्योति को उसकी फाइल वापस मिली।