आम आदमी पार्टी (AAP) के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने आगामी चुनावों और देश की राजनीतिक व्यवस्था पर खुलकर अपनी राय रखी. इंडिया न्यूज़ मंच से उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की संगठनात्मक शक्ति, कांग्रेस की कमजोरी और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता जैसे गंभीर विषयों पर चर्चा की.
वोटिंग प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल
संदीप पाठक ने चुनाव प्रक्रिया में विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया. उन्होंने कहा, “22 लाख वोट पहले थे, जो बाद में 20 लाख हो गए. देखने में लगता है कि सिर्फ 2 लाख का अंतर है, लेकिन हकीकत यह है कि 10 लाख वोट काटे गए और फिर 10 लाख नए जोड़े गए. मैं यह नहीं कह रहा कि कुछ गलत हुआ है, लेकिन लोकतंत्र का आधार निष्पक्षता है. अगर किसी को भी संदेह है, तो प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाना ही होगा.”
बीजेपी और कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा
बीजेपी की लगातार जीत के पीछे के कारणों का विश्लेषण करते हुए पाठक ने कहा कि बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उनका मजबूत संगठन है. बीजेपी की रणनीति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ दो-चार बड़े चेहरों पर निर्भर नहीं रहती, बल्कि अपने संगठन के हर कार्यकर्ता को बराबर मौका देती है. कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “कांग्रेस ‘लीडर स्पेसिफिक’ चुनाव लड़ती है. उनका पूरा दारोमदार राज्य के बड़े नेताओं पर होता है. अगर नेता चला तो पार्टी जीती, वरना हार निश्चित है.”
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि बीजेपी अभी भी ‘कन्वेंशनल’ (पारंपरिक) तरीके से चुनाव लड़ रही है और उनकी जीत इसलिए हो रही है क्योंकि उनके सामने कांग्रेस जैसी कमजोर विपक्षी पार्टी है.
“इंजीनियरिंग सरल है, राजनीति चुनौतीपूर्ण”
अपनी निजी यात्रा पर बात करते हुए संदीप पाठक ने कहा कि उनके लिए इंजीनियरिंग करना राजनीति के मुकाबले सरल था. उन्होंने कहा, “बिना किसी आर्थिक पृष्ठभूमि (जेब में पैसे न होना) के राजनीति में आना और ईमानदारी बनाए रखते हुए सर्वाइव करना सबसे बड़ी चुनौती है.”
अरविंद केजरीवाल को बताया अपना ‘गुरु’
प्रेरणा के सवाल पर संदीप पाठक ने नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े नामों का जिक्र किया. लेकिन वर्तमान समय में उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना गुरु बताया। उन्होंने कहा “अरविंद केजरीवाल जी ने शून्य से लेकर आज जहां पार्टी खड़ी है, वहां तक का सफर तय किया है. आज मैं राजनीति में जो कुछ भी हूं, उन्हीं से सीखकर बना हूं.”
“खाली समय में सोना पसंद है”
जब उनसे पूछा गया कि वह राजनीति के अलावा और क्या अच्छा कर लेते हैं, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अभी तो सिर्फ राजनीति ही अच्छे से कर पा रहा हूं. बाकी खाली समय मिले तो मुझे सोना बहुत पसंद है.”