Home > देश > जिसने शिक्षा चुनी वो मेयर बना, जिसने कट्टरता चुनी वो…अरशद मदनी को एक मुस्लिम IAS ने दिया करारा जवाब

जिसने शिक्षा चुनी वो मेयर बना, जिसने कट्टरता चुनी वो…अरशद मदनी को एक मुस्लिम IAS ने दिया करारा जवाब

IAS Niyaz Khan Post: भारत के मुसलमानों पर अरशद मदनी के द्वारा दिए गए बयान पर मध्यप्रदेश के चर्चित IAS अधिकारी नियाज खान ने पलटवार किया है.

By: Shubahm Srivastava | Last Updated: November 23, 2025 7:04:03 PM IST



IAS On Arshad Madani Comment: दिल्ली बम धमाकों और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान के बाद मध्यप्रदेश के चर्चित IAS अधिकारी नियाज खान एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. अपने निष्पक्ष और बेबाक विचारों के लिए पहचाने जाने वाले नियाज खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसने व्यापक बहस छेड़ दी. खान ने अपने संदेश में शिक्षा और कट्टरता के बीच के अंतर को रेखांकित करते हुए कहा कि एक पढ़ा-लिखा मुसलमान दुनिया में किसी भी ऊंचे पद तक पहुंच सकता है. 

जिसने शिक्षा को चुना वो मेयर बना, जिसने कट्टरता को चुना वो…

उन्होंने कहा, “जिस मुस्लिम ने शिक्षा हासिल की, वह लंदन और न्यूयॉर्क का मेयर बना, अमेरिका में गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर बना, लेकिन जिसने कट्टरता को चुना, वह मैकेनिक, महिलाओं पर अन्याय करने वाला या पंक्चर बनाने वाला बनकर रह गया. शिक्षा मुसलमानों के लिए रामबाण औषधि है.”

मुसलमानों के लिए शिक्षा बहुत जरूरी

आजतक से बात करते हुए में नियाज खान में कहा कि मुसलमानों के लिए शिक्षा इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है, सम्मान दिलाती है और देश की सेवा का रास्ता खोलती है. उनके अनुसार जो लोग कट्टरता में उलझते हैं, वे अपनी ही प्रगति के रास्तों को बाधित करते हैं और समाज से कटते जाते हैं.

अरशद मदनी के बयान पर क्या कुछ कहा?

अरशद मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए खान ने असहमति जताई. मदनी ने कहा था कि “लंदन या न्यूयॉर्क में मुसलमान मेयर बन सकते हैं, लेकिन भारत में कोई मुसलमान विश्वविद्यालय का वाइस-चांसलर तक नहीं बन सकता.” इस पर खान का मानना है कि भारत में किसी भी व्यक्ति के लिए शिक्षा और मेहनत ही आगे बढ़ने का आधार है, और मुसलमानों के आगे बढ़ने में कोई संरचनात्मक बाधा नहीं है.

 खान ने उदाहरण देते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन इस बात के प्रमाण हैं कि भारतीय मुसलमानों ने संघर्ष और शिक्षा से वैश्विक पहचान हासिल की है.

अरशद मदनी ने अपने बयान में भारत में मुस्लिम समुदाय के प्रति सत्ता के व्यवहार पर चिंता जताई थी और कहा था कि यहां मुसलमानों के लिए शीर्ष पदों तक पहुंचना मुश्किल बनाया जाता है. 

क्या अल-फलाह यूनिवर्सिटी के छात्रों के भविष्य पर खतरा? दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े मामले में माता-पिता ने VC को लिखा पत्र

Advertisement