ओडिशा से अक्षय महाराणा की रिपोर्ट: शुक्रवार को रायगढ़ा जिला मुख्य अस्पताल में बिजली आपूर्ति बाधित होने से मरीजों और डॉक्टरों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सुबह लगभग 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक पूरे शहर में बिजली कटौती रही, जिससे अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। बिजली विभाग ने मरम्मत कार्य को लेकर पहले ही लोगों को सूचना दी थी, लेकिन इसके बावजूद अस्पताल में बैकअप व्यवस्था पूरी तरह फेल साबित हुई।
अस्पताल परिसर में खराब पड़ा था जनरेटर
अस्पताल परिसर में स्थापित जनरेटर लंबे समय से खराब पड़ा था। समय रहते उसकी मरम्मत या जांच नहीं होने की वजह से डॉक्टरों और स्टाफ को मजबूरी में मोबाइल टॉर्च और लैम्प की रोशनी का सहारा लेना पड़ा। मरीजों के परिजनों ने इस स्थिति पर नाराज़गी जताई और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया।बिजली कटौती के दौरान कई वार्ड अंधेरे में रहे। खासकर ओपीडी, महिला एवं प्रसूति वार्ड, दवा वितरण कक्ष और ब्लड टेस्ट यूनिट में काम पूरी तरह से ठप हो गया। कई मरीज घंटों से इलाज और दवाइयों के इंतजार में बैठे रहे, लेकिन अंधेरे और अव्यवस्था के कारण वे परेशान दिखे।
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हो रही थी कुछ तकनीकी खराबी
इस घटना पर अस्पताल के एडीएमओ डॉ. प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि जब बिजली गुल हुई, तब तकनीकी खराबी के कारण जनरेटर तुरंत चालू नहीं हो पाया। बाद में तकनीकी टीम ने समस्या ठीक की और जनरेटर को चालू कर दिया गया। उन्होंने माना कि इस दौरान मरीजों और डॉक्टरों को कठिनाई झेलनी पड़ी। यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारियों पर कई तरह के गंभीर सवाल खड़े करती है जैसे।
* जब बिजली कटौती की पूर्व सूचना थी, तो वैकल्पिक व्यवस्था समय पर क्यों नहीं की गई?
* क्या अस्पताल प्रशासन ने बैकअप सिस्टम की नियमित जांच की थी?
* आपात स्थिति में मरीजों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही क्यों हुई?
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आपदा प्रबंधन और चिकित्सा सेवाओं के बीच तालमेल की भारी कमी
रायगढ़ा अस्पताल की यह घटना स्पष्ट करती है कि आपदा प्रबंधन और चिकित्सा सेवाओं के बीच तालमेल की भारी कमी है। जरूरत है कि अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में मरीजों को इस तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

