Maharashtra:महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास मंत्री मकरंद जाधव ने राज्य विधानसभा में किसानों की आत्महत्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मार्च 2025 में 250 और अप्रैल 2025 में 229 किसानों ने आत्महत्या की। जाधव ने विधानसभा को बताया कि मार्च में आत्महत्या करने वाले 250 किसानों में से 102 सरकारी मुआवजे के पात्र हैं, जबकि 62 अपात्र हैं और 77 मामलों की जांच चल रही है।
अप्रैल में आत्महत्या करने वाले कुल 229 किसानों में से 74 किसान मुआवजे के पात्र हैं, 31 अपात्र हैं और 124 मामले जांच के कारण लंबित हैं। तीन महीने में 700 से अधिक किसानों ने की आत्महत्या महाराष्ट्र विधानसभा में किसानों की आत्महत्या को लेकर तीखी बहस हुई। जिसमें सामने आया कि जनवरी से मार्च तक राज्य में कुल 767 लोगों ने आत्महत्या की है। जानकारी में पता चला है कि आत्महत्या के ज्यादातर मामले विदर्भ क्षेत्र के हैं। जांच में पाया गया कि मृतक किसानों में से 376 सरकारी मुआवजे के पात्र थे, जबकि 200 किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड पूरा न करने के कारण सहायता नहीं मिली।
आत्महत्याओं को लेकर उठाए सवाल
कांग्रेस विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार से किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने सरकार को घेरा और पूछा कि सरकार मृतक किसानों के परिवारों को किस तरह की मदद दे रही है? कांग्रेस विधायकों ने सरकार द्वारा दी जाने वाली 1 लाख रुपये की राशि को और बढ़ाने की मांग की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को 1 लाख रुपये का मुआवजा देती है।
किसानों को मुआवजा दे रही है सरकार-जाधव
कांग्रेस के सवाल का जवाब देते हुए जाधव ने कहा कि राज्य सरकार उन सभी किसानों को मुआवजा दे रही है जिनकी फसलें अनावश्यक बारिश और प्राकृतिक आपदाओं के कारण नष्ट हो गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जरूरतमंद किसानों को साल में 6000 रुपये का योगदान दे रही है। इसके अलावा केंद्र सरकार भी पीएम किसान सम्मान योजना के तहत 6000 रुपये देकर किसानों की मदद कर रही है।
‘सरकार किसानों को मार रही है’- राहुल गांधी
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी जी कहते थे कि किसान की आय दोगुनी कर देंगे। उन्होंने कहा कि किसानों की आत्महत्या के मामलों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आय दोगुनी तो नहीं हुई लेकिन किसानों की जिंदगी आधी होती जा रही है।
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