मनीष मेहता की रांची से रिपोर्ट: राज्य क 38 करोड़ रुपए के शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार हुए उत्पाद सचिव IAS विनय कुमार चौबे के खिलाफ ावी तक ACB( Anti-Corruption Bereau) ने कोई भी चार्जशीट दाखिल नहीं की है जिसकी वजह से उनकी जमानत का रास्ता साफ़ होता दिखाई दे रहा है।झारखण्ड सरकार भी क्लियर आंसर देने से कतरा रही है।
ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने उत्पाद सचिव IAS विनय कुमार चौबे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
जानकारी के अनुसार चौबे पर आरोप था कि उत्पाद सचिव रहते हुए उन्होंने कथित रूप से शराब नीति के नाम पर वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा दिया। इसी मामले में ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं की और ऐसा तभी होता है जब सर्कार के पास घटना की कोई जानकारी नहीं होती।रांची स्थित ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) से विशेष अदालत में कोई भी अतिरिक्त समय भी नहीं माँगा है जिसकी वजह से उत्पाद सचिव IAS विनय कुमार चौबे को रिहाई मिलने की शंका है।
एसीबी ने चार्जशीट के पूर्व अभियोजन स्वीकृति की मांग क्यों नहीं की
वरिष्ठ अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा अदालत ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि ACB 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करने में नाकाम रही। कानूनी प्रावधान के तहत, तय समयसीमा के भीतर चार्जशीट नहीं आने पर आरोपी को जमानत का अधिकार मिल जाता है।अनुमति नहीं मिलने के चलते उत्पाद सचिव IAS विनय कुमार चौबे के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी। अमूमन अभियोजन की स्वीकृति चार्जशीट के बाद भी मांगी जाती है लेकिन झारखण्ड सर्कार पे जूं तक नहीं रेंगी। एसीबी ने चार्जशीट के पूर्व अभियोजन स्वीकृति की मांग क्यों नहीं की, यह भी गिरफ्तारी व जांच की प्रक्रिया पर पर संदेह पैदा करता है और नौकरशाही सर्कार की नीतियों को बढ़ावा भी देता है।
सियासत और नौकरशाही दोनों में हलचल मच गई है
इस फैसले के बाद झारखंड की सियासत और नौकरशाही दोनों में हलचल मच गई है। यह वही केस है जिसमें ईडी और ACB दोनों की जांच चल रही है और कई कारोबारी व अधिकारी जांच के दायरे में हैं।
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