अजय जंडयाल की रिपोर्ट, Jammu Kashmir: जम्मू क्षेत्र पिछले दो दिनों से मूसलधार बारिश, फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की चपेट में है, जिसमें अब तक कम से कम 45 लोगों की जान जा चुकी है। हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुँचा है। अधिकारियों के अनुसार जम्मू और सांबा ज़िलों में बहु-एजेंसी बचाव और राहत अभियान चलाया जा रहा है। अब तक 12,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है गुरुवार को नागरोटा, आर.एस. पुरा और बारी-ब्रह्मणा से चार और शव बरामद हुए। कई गाँव अब भी भूस्खलन के कारण कटे हुए हैं। मलबा हटाने और ज़रूरी सेवाओं को बहाल करने के लिए भारी मशीनरी लगाई गई है।
20 से अधिक घायल
सबसे बड़ी त्रासदी माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर हुई, जहाँ अर्धकुंवारी के पास भूस्खलन में 34 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि अब तक 24 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जिनमें 14 महिलाएँ शामिल हैं। 20 से अधिक घायल ज़ख़्मी अस्पतालों में भर्ती हैं। नॉर्दर्न रेलवे ने जम्मू और कटरा आने-जाने वाली 58 ट्रेनों को रद्द कर दिया था। अब 2,000 से अधिक फँसे यात्रियों को निकालने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं। तवी, चिनाब, बसंतर, रावी और उज्ह सहित प्रमुख नदियाँ अब उतरने लगी हैं, लेकिन पुलों, घरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को व्यापक नुकसान हुआ है। करीब 50 गाँव अब भी संपर्क से कटे हुए हैं।
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यह क्या घटना याद दिलाती
यह आपदा इससे पहले 14 अगस्त को किश्तवाड़ के चिसोती गाँव में आई बादल फटने की घटना की याद दिलाती है, जहाँ मचैल माता यात्रा मार्ग पर 65 लोगों की मौत हुई थी, 100 से अधिक घायल हुए थे और 32 लोग अब भी लापता हैं। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे सतर्क रहें, बाढ़ संभावित इलाकों से दूर रहें और राहत-बचाव कार्यों में सहयोग करें। अधिकारी स्थिति को सामान्य बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

