Jagat Seth Story: प्राचीन काल से ही भारत न केवल समृद्ध रहा है, बल्कि धनी भी रहा है. दूसरे देशों से लोग यहां न केवल व्यापार के लिए, बल्कि शासन करने के लिए भी आते रहे हैं. इनमें अंग्रेज़ भी शामिल थे, जो शुरू में भारत व्यापार के लिए आए थे, लेकिन बाद में उन्होंने भारत पर कब्जा कर लिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन अंग्रेजों को जगत सेठ नामक एक भारतीय ने देश में व्यापार के लिए लोन दिया था.
मुगलों से जुड़ा है इतिहास
सत्रहवीं शताब्दी में औरंगज़ेब के शासनकाल के अंत तक, करों के संग्रह और हस्तांतरण में बैंकरों की भी अहम भूमिका होने लगी थी. कई अवसरों पर, व्यापारियों और राजकुमारों के बीच भी घनिष्ठ संबंध थे. व्यापारी राज्य तंत्र में भी अहम पदों पर आसीन थे, चाहे वो मौर्य काल के दौरान गुजरात के राज्यपाल पुष्यगुप्त हों, या मुग़ल प्रशासन में व्यापारियों द्वारा धारण किए गए अलग-अलग पद.
मुगल इन लोगों से लेते थे लोन
यह भी देखा गया कि अलग-अलग मुगल सरदार, सम्राट और स्थानीय राजा अपने युद्धों और प्रशासन के वित्तपोषण और अपनी ऋण जरूरतों की पूर्ति के लिए बैंकरों पर निर्भर थे. ये जरूरतें दो तरीकों से पूरी की जाती थीं: खेती के माध्यम से बड़े क्षेत्रों से राजस्व संग्रह या साहूकारों से ऋण प्राप्त करके. कुछ अभिलेख पूर्वी भारत के बंगाल प्रांत, पश्चिमी भारत के सूरत और राजस्थान में इस घटना का संकेत देते हैं, लेकिन यह कभी संस्थागत नहीं हो पाई.
इस भारतीय ने दिया अंग्रेजों को लोन
ऐसा ही एक अपवाद अठारहवीं सदी के बंगाल के सेठ मानिकचंद और दीवान मुर्शिद कुली खाँ की कहानी है. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में जगत सेठ परिवार सबसे अमीर परिवार था. इस परिवार के सदस्य इतने धनी थे कि अंग्रेज भी आर्थिक मदद के लिए उनके पास जाते थे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुर्शिदाबाद के जगत सेठ ने हमारे देश में वित्तीय लेन-देन, कर वसूली और बाकि प्रक्रियाओं को सरल बनाया, और ब्रिटिश साम्राज्य भी उनके आगे नतमस्तक था. उस समय उनके पास इतना धन और रुतबा था कि उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मुगल साम्राज्य से सीधे लेन-देन किया, और ज़रूरत पड़ने पर मदद भी की. आइए जगत सेठ और उनके परिवार के बारे में जान लेते हैं.
जगत सेठ के बारे में
ब्रिटिश काल में, मुर्शिदाबाद शहर एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, और उस समय हर कोई इस जगह और जगत सेठ को बखूबी जानता था. गौरतलब है कि जगत सेठ, या विश्व बैंकर, वास्तव में एक उपाधि है. 1723 में, मुगल सम्राट मुहम्मद शाह ने फतेह चंद को यह उपाधि प्रदान की थी. उसके बाद, पूरा परिवार जगत सेठ के नाम से जाना जाने लगा. इस परिवार के संस्थापक सेठ माणिक चंद थे, और यह परिवार उस समय का सबसे अमीर बैंकर परिवार था.
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