‘ट्रिशूल’ की दहाड़, पश्चिमी सीमा पर 10 दिन का भारतीय ‘शो ऑफ़ फ़ोर्स’, कराची-सिंध बेल्ट पर नज़र, पाकिस्तान हाई अलर्ट पर!

भारत द्वारा पश्चिमी सीमा(Western Border) पर 10-दिवसीय ट्राई-सर्विसेज सैन्य अभ्यास (10-Day Try-Services Military Exercise) (NOTAM के साथ) ने पाकिस्तान को हाई अलर्ट पर किया गया है. यह अभ्यास कराची-सिंध क्षेत्र (Karachi-Sindh Region) पर केंद्रित है, जिसे पाकिस्तान अपनी सबसे कमजोर रणनीतिक भेद्यता (Strategic Vulnerability) मानता है, जिससे बहु-मोर्चा युद्ध (Multi-Front War) की आशंकाएं बढ़ सकती हैं.

Published by DARSHNA DEEP

Indian-Western Border: भारत द्वारा पश्चिमी सीमा पर जारी किए गए ‘नोटिस टू एयरमेन’ (NOTAM) और 10 दिवसीय ट्राई-सर्विसेज (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) संयुक्त सैन्य अभ्यास ने पाकिस्तान के प्रशासनिक और सैन्य गलियारों में पूरी तरह से खलबली मचा दी है.

भारत की कार्रवाई और NOTAM

 भारत ने 30 अक्टूबर से 10 नवंबर 2025 तक के लिए पश्चिमी सीमा से सटे इलाकों के लिए NOTAM जारी किया है, जिसका साधा मतलब है कि इस अवधि में यह क्षेत्र नो-फ्लाई ज़ोन फिलहाल घोषित रहेगा. यह एक ट्राई-सर्विसेज (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जिसे भारत ने अपनी नियमित तैयारी का हिस्सा बनाया है. यह अभ्यास मुख्य रूप से सर क्रीक-सिंध-कराची एरिया (जिसे पाकिस्तान ‘डीप साउथ’ कहता है) उसपर पर केंद्रित है. तो वहीं, दूसरी तरफ भारतीय अधिकारी इसे संयुक्त अभियानों की तैयारी सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सामान्य प्रशिक्षण प्रक्रिया बता रहे हैं. 

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और बढ़ी चिंताएं

भारत के इस तीखे ऐलान के बाद पाकिस्तान ने अपनी आर्मी, एयरफोर्स और नेवी को हाई अलर्ट पर रहने का सख्त निर्देश दिया है. सिंध और दक्षिण पंजाब की सदर्न कमांड्स, विशेष रूप से बहावलपुर स्ट्राइक कोर और कराची (सिंध) कोर को विशेष सतर्कता बरतने पर भी पूरी तरह से ज़ोर दिया गया है. 

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एयर और नेवल बेस में शोरकोट, बहावलपुर, रहिम यार खान, जैकबाबाद, भोलारी और कराची वायुसेना बेसों को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है, और अरब सागर में नौसेना की गश्त को पूरी तरह से बढ़ा दिया गया है. 

रणनीतिक भेद्यता (Vulnerability):

पाकिस्तान को यह आशंका है कि भारत ने यह दक्षिणी सेक्टर इसलिए चुना है ताकि कार्रवाई की क्षमता का परीक्षण किया जा सके. इसके अलावा कराची से जुड़े समुद्री मार्गों और तटीय ढांचे को खतरे में डालने की क्षमता का प्रदर्शन भी किया जा सके. कराची पोर्ट और बिन कासिम के माध्यम से पाकिस्तान का करीब 70% व्यापार होता है, जिससे यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से संवेदनशील माना जाता है. इतना ही नहीं, पाकिस्तान को इस बात का भी डर है कि भारत का यह दक्षिणी फोकस एक स्पष्ट संदेश है कि वह सिर्फ पंजाब या कश्मीर ही नहीं, बल्कि कई मोर्चों पर एक साथ मोर्चा भी खोल सकता है. 

पाकिस्तान की आंतरिक और बाहरी चुनौतियां

सर क्रीक-बादिन-कराची बेल्ट को पाकिस्तान के सबसे कमजोर सैन्य क्षेत्रों में से एक माना जाता है, जहां पर सुरक्षा अपेक्षाकृत कम है और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी कई बार बाधित हो सकता है. जहां, पाकिस्तान की सेना पहले से ही अफगानिस्तान बॉर्डर पर तालिबान, और देश के अंदर TTP और BLA जैसी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में बाहरी मोर्चे पर यह तनाव उसकी क्षमता को और कमजोर भी कर सकता है. 

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