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Justice Yashwant Verma Impeachment: जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी, 208 सांसदों ने लगाई मुहर, जानिए क्या है पूरा मामला?

Justice Yashwant Verma Impeachment: कैश कांड को लेकर जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जाएगी। इसके लिए सभी दलों के सांसदों के हस्ताक्षर लिए गए हैं। सभी दलों के अधिकांश सांसद, चाहे वे बड़े हों या छोटे, इस महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में हैं। लगभग 208 सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

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Justice Yashwant Verma Impeachment: जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े कैश कांड को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। जस्टिस वर्मा खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की जाएगी। इसके लिए सभी दलों के सांसदों के हस्ताक्षर लिए गए हैं। सभी दलों के अधिकांश सांसद इस महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में हैं। लगभग 208 सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। बता दें कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपे गए नोटिस पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी, वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर समेत कुल 145 सदस्यों ने साइन किये हैं। वहीं, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपे गए नोटिस पर 63 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।

जस्टिस वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी मिली थी

दरअसल, 14 मार्च को होली की रात लगभग 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग लग गई। वे दिल्ली से बाहर थे। उनके परिजनों ने आग बुझाने के लिए दमकल विभाग को बुलाया। आग बुझाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल आया। इस दौरान कथित तौर पर वहाँ बड़ी मात्रा में नोटों के बंडल मिले। बताया जाता है कि एक पूरा कमरा नोटों से भरा मिला।

महाभियोग से पहले जस्टिस वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुँचे

महाभियोग की तैयारी से पहले, जस्टिस वर्मा ने आंतरिक जाँच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। रिपोर्ट में नकदी का स्रोत न बता पाने के कारण महाभियोग की सिफारिश की गई है। जस्टिस वर्मा का दावा है कि स्टोररूम पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला रिपोर्ट की वैधता तय करेगा।बता दें कि मार्च में जस्टिस वर्मा के घर से आग लगने की घटना के बाद करोड़ों की नकदी बरामद की गई थी।

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जांच समिति की रिपोर्ट में मिली नकदी जस्टिस वर्मा और उनके परिवार की थी और उन्होंने इसका स्रोत नहीं बताया था। इसके बाद जांच समिति ने महाभियोग की सिफारिश की, जिसे केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। इस नकदी कांड के बाद जस्टिस वर्मा का दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में तबादला कर दिया गया था।

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