नई दिल्ली से मनोहर केसरी कि रिपोर्ट
Hydrogen Trains in India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले के प्राचीर से ना सिर्फ देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का ऐलान कर सकते हैं, बल्कि, जल्द देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं।
भारत ने ड्रैगन को हाइड्रोजन ट्रेन टेक्नोलॉजी में भी मात दे दिया है। अब चीन और पाकिस्तान देखता रह जाएगा। भारत ने हाईड्रोजन से चलने वाली 1200 हॉर्स पॉवर लोको यानी इंजन बनाने में चीन पीछे छोड़ दिया है जो ज़ीरो-उत्सर्जन टेक्नोलॉजी वाली हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल शुरू हो गया है। भारतीय रेलवे का दावा है कि हाइड्रोजन से चलने वाली 1200 हॉर्स पॉवर इंजन वाली ट्रेन दुनियाभर में इकलौती है। इस ट्रेन के जल्द आने की जानकारी x पोस्ट पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दे चुके हैं।
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कैसे चीन को भारत ने पछाड़ा हाइड्रोजन ट्रेन तकनीक मामले में?
दअरसल , भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन की इंजन की कैपिसिटी ना सिर्फ 1200 हॉर्स पॉवर है, बल्कि, ये 2,600 रेलयात्रियों को ढोने में सक्षम है।
वहीं, अगर चीन की इस ट्रेन की बात करें जिसे ड्रैगन साल 2024 में बर्लिन में आयोजित व्यापार मेले इनोट्रांस 2024 में अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन CINOVA H2 से पर्दा उठाया था। 4 कोच वाली इस ट्रेन की स्पीड 160 KMPH है और यह फुल इंजन के साथ 15 मिनट में 1200KM की दूरी तय कर सकती है । चीन की इस ट्रेन की क्षमता मात्र 1,000 यात्रियों को ले जाने की है।
कैसे दुनिया के दूसरे देशों से अलग है?
दुनियाभर में पहली बार हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों की शुरुआत साल 2022 में जर्मनी में हुई थी।
जर्मनी, फ्रांस, स्वीडेन और चीन के बाद भारत 5 वां
देश बन गया है जिसने हाइड्रोजन इंजन वाली रेलगाड़ी विकसित किया है। इतना ही नहीं, दूसरे देशों में चलने वाली ट्रेनों के इंजन की क्षमता मात्र 500 से 600 हॉर्स पावर है।
हाइड्रोजन ट्रेन का क्या होगा पहला रूट ?
इस जीरो एमिशन ट्रेन की पहली सेवा हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच शुरू होगी। इस रेलवे रूट की लंबाई और इंफ्रास्ट्रक्चर इस ट्रेन के अनुकूल है । हाइड्रोजन भरने के इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी जींद में किया गया है ।
इसके अलावा, अब इस रूट पर सिर्फ ऑसीलेशन ट्रायल का होना बाकी है। इस ट्रायल के दौरान ट्रेन में उतना ही वजन रख कर दौड़ाया जाएगा, जितने वजन के रेल मुसाफिर उसमें चढ़ेंगे। वजन डालने के लिए प्लास्टिक के पीपे में मेटल पाउडर डाल कर 50-50 किलो का वजन बनाया जाएगा।
इस ट्रेन का निर्माण ICF चेन्नई में हुआ है जहां सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया है।
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भारत में हाइड्रोजन ट्रेन का फ्यूचर:-
देश में ये ट्रेन “हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज ” कार्यक्रम का हिस्सा है जिसका मकसद एनवायरमेंट सेंसेटिव और टूरिस्ट रूट पर रेल टूर को डीकार्बोनाइज करना है। इस कार्यक्रम के तहत शिमला-कालका, दार्जिलिंग और ऊटी जैसे रेलवे रूट को शामिल किया गया है । ऐसी 35 हाइड्रोजन ट्रेनें बनाने का लक्ष्य है। हरएक ट्रेन की लागत 80 करोड़ रुपये होगी और प्रति रूट हाइड्रोजन रीफ्यूलिंग और रखरखाव के लिए 70 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। इसकी सफलता दुनियाभर में साल 2070 तक नेट-जीरो कार्बन एमिशन लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगी।

