Jammu Kashmir News: आज ही के दिन 5 साल पहले धारा 370 हटाया गया था जो कि पीएम मोदी सरकार का सबसे बड़ा फैसला माना जाता है। पीएम मोदी के इस फैसले से पाकिस्तान पूरी तरह बौखला गया था। तो चलिए जानते हैं अनुच्छेद 370 क्या था और इसे मोदी सरकार ने कैसे हटाया।
अनुच्छेद 370 क्या है ?
बता दें कि अनुच्छेद 370 भारत के संविधान का एक ऐसा प्रावधान था जो कि जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देता था। जिसके वजह से जम्मू-कश्मीर पर भारत के संविधान की उपयोगिता बेहद सीमित थी। संविधान के ‘अनुच्छेद-1’के अलावा कोई अन्य अनुच्छेद धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले इस जगह पर लागू नहीं होता था।
संविधान का ‘अनुच्छेद-1’ भारत के राज्यों को एक संघ बताता है। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग संविधान था। हालाकि धारा-370 इस बात का अधिकार देता था कि भारत का राष्ट्रपति ज़रूरत पड़ने पर किसी भी बदलाव के साथ संविधान के किसी भी हिस्से को राज्य में लागू कर सकते हैं। लेकिन इसमें एक शर्त रखा गया था और वो शर्त ये थी कि इसके लिए राज्य सरकार की सहमति लेनी जरूरी है। अनुच्छेद 370 में ये भी कहा गया कि भारतीय संसद के पास केवल विदेश,रक्षा और संचार के संबंध में राज्य में क़ानून बनाने की शक्तियां हैं।
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ये थी सबसे बड़ी समस्या
‘अनुच्छेद 370’ में यह स्पष्ट किया गया था कि राष्ट्रपति इसके प्रावधानों में संशोधन केवल जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सहमति से ही कर सकते हैं। लेकिन यहाँ समस्या यह थी कि 1951 में गठित जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा 1956 में भंग कर दी गई थी। मतलब, अब न तो कोई संविधान सभा होगी और न ही वह किसी संशोधन को सहमति देगी। लेकिन 5 अगस्त 2019 को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने एक झटके में लोकसभा में ‘अनुच्छेद 370’ को ख़त्म करने का प्रस्ताव पेश कर दिया, जो सदन में बड़ी आसानी से पारित भी हो गया। मोदी सरकार ने इसके साथ ही ‘अनुच्छेद 35-ए’ को भी ख़त्म करने की घोषणा कर दी। ‘अनुच्छेद 35-ए’ को 1954 में संविधान में शामिल किया गया था। यह प्रावधान जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को सरकारी नौकरी, राज्य में संपत्ति ख़रीदने और राज्य में रहने के विशेष अधिकार देता था।
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370 कैसे हटाया गया ?
‘अनुच्छेद 370’ को हटाने की कानूनी प्रक्रिया काफी जटिल और पेचीदा थी। 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने एक आदेश जारी किया। इससे संविधान में संशोधन किया गया। इसमें कहा गया कि राज्य की संविधान सभा का तात्पर्य राज्य की विधानसभा से होगा। इसमें यह भी कहा गया कि राज्य की सरकार राज्य के राज्यपाल के समकक्ष होगी। अब ध्यान रखने वाली बात यह है कि जब यह संशोधन पारित हुआ था, तब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू था। सामान्य परिस्थितियों में, राष्ट्रपति को इस संशोधन के लिए राज्य विधानमंडल की सहमति की आवश्यकता होती, लेकिन राष्ट्रपति शासन के कारण विधानमंडल की सहमति संभव नहीं थी। इस आदेश ने राष्ट्रपति और केंद्र सरकार को ‘अनुच्छेद 370’ में किसी भी तरह से संशोधन करने की शक्ति प्रदान की, जो वे उचित समझें। अगले दिन राष्ट्रपति ने एक और आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू होंगे। इससे जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा समाप्त हो गया। 9 अगस्त 2019 को, संसद ने एक कानून पारित कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों: जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। कानून के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में नहीं।
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