मनीष मेहता की रिपोर्ट, Jharkhand News: दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पारंपरिक श्राद्धकर्म के आठवें दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने परिजनों संग दिवंगत आत्मा की शांति के लिए पारंपरिक मान्यताओं के अनुरूप श्राद्धकर्म का विधान पूरा किया। वहीं आठवें दिन सुबह से ही रामगढ़, नेमरा स्थित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पैतृक आवास में गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा। हजारों की संख्या में नेमरा पहुंचे आम और खास सभी वर्ग के लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर गुरुजी के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त की। दिशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे लोगों ने कहा कि धन्य है नेमरा की भूमि जहां गुरुजी जैसी विभूति का जन्म हुआ।
शिबू सोरेन के श्राद्धकर्म की तैयारियां
Kalpana Murmu Soren: कल्पना सोरेन ने अन्य दिनों की तरह ही आज भी रीति रिवाज और परंपरा का निर्वहन करते हुए बाबा के लिए भोजन बनाया. वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धार्मिक मान्यताओं, संस्कारों और स्थानीय परंपराओं के अनुरूप भोजन परोसे जाने की रस्म को निभाया. शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म के छठवें दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थानीय मान्यताओं के अनुरूप अपने परिजनों के साथ परंपरागत रस्में निभाईं.झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक, दिवंगत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के श्राद्धकर्म की तैयारियां नेमरा में बड़े पैमाने पर चल रही हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और परिवार की मंझली बहू, कल्पना सोरेन, सुबह से ही आयोजन की तैयारियों में सक्रिय रहीं।
कल्पना सोरेन ने चावल कूटकर अर्पित किए
परंपरा के तहत कल्पना सोरेन ने स्वयं ढेंकी में चावल कूटकर गुरुजी को अर्पित किए जाने वाला विशेष भोजन तैयार किया। स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार तैयार किए गए इस भोजन को बाद में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुजी को समर्पित किया। यह कदम न केवल पारंपरिक संस्कृति के प्रति सम्मान दर्शाता है, बल्कि परिवार की व्यक्तिगत भागीदारी और श्रद्धा को भी उजागर करता है। श्राद्धकर्म के आयोजन के लिए अब तक पांच बड़े पंडाल लगाए जा चुके हैं।पार्टी नेताओं के अनुसार, तीन से चार और पंडाल बनाने की योजना है ताकि श्रद्धांजलि देने आने वाले लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा सके।
जाने पूरी तैयारियां
अतिविशिष्ट अतिथियों की सुविधा के लिए गुरुजी के घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर एक हेलिपैड बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, दो और हेलिपैड और विशेष वीआईपी आवास तैयार किए गए हैं। यहां आने वाले मेहमान न केवल बैठकर भोजन कर सकेंगे, बल्कि आवश्यकतानुसार विश्राम भी कर पाएंगे।इस आयोजन में परंपरा, सम्मान और भव्यता का अद्वितीय संगम देखने को मिल रहा है। शिबू सोरेन का श्राद्धकर्म केवल एक पारिवारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि झारखंड की राजनीतिक और सामाजिक विरासत को सम्मानित करने का प्रतीक बन गया है। यह अवसर प्रदेश के जनमानस के लिए भी एक भावनात्मक पल है, जहां लोग अपने प्रिय नेता को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।