Jaisalmer: जैसलमेर जो कि राजस्थान का एक जिला है वहाँ से एक बेहद रोचक और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। जी हाँ आपको बता दें कि जैसलमेर से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित मेघा गांव में स्थानीय लोगों को खुदाई के दौरान एक बड़े कंकाल जैसी संरचना और कुछ असामान्य पत्थर मिले हैं। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि यह अवशेष डायनासोर के जीवाश्म हो सकते हैं। इस खोज ने वैज्ञानिकों और पुरातत्व विशेषज्ञों के बीच एक नयी उत्सुकता पैदा कर दी है, क्योंकि अआप्को बता दें कि यह स्थान पहले से ही जुरासिक काल की चट्टानों और भू-रचनाओं के लिए जाना जाता है।
कैसे की गयी यह खोज?
आपको बता दें कि स्थानीय निवासी श्याम सिंह ने झील के पास खुदाई के दौरान कुछ बड़े आकार की हड्डी जैसी संरचनाएं देखीं। उन्होंने बताया कि ये पत्थर और कंकाल के निशान बहुत अलग और असामान्य दिख रहे थे। उन्हें यह संदेह हुआ कि ये किसी प्रागैतिहासिक काल के जीव, संभवतः डायनासोर के अवशेष हो सकते हैं। उन्होंने तुरंत प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इसकी सूचना दी।
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प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या है?
इस घटना की जानकारी मिलते ही फतेहगढ़ के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और तहसीलदार ने मौके का दौरा किया और वहां मौजूद संरचनाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि अवशेषों की जांच के लिए विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई है जो वैज्ञानिक तरीके से इसकी जांच करेगी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ये संरचनाएं वास्तव में डायनासोर की हैं या किसी अन्य जीव की, लेकिन संभावना मजबूत मानी जा रही है।
वैज्ञानिक का क्या कहना है?
आपको बताते चलें कि जैसलमेर क्षेत्र की भू-संरचना को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यह इलाका जुरासिक युग का है जो आज से लगभग 180 मिलियन वर्ष पुराना है। इस दौरान धरती पर कई प्रकार के डायनासोर रहते थे। वहीँ यहां की चट्टानों में समुद्री और मीठे पानी की परतें पाई जाती हैं, जो इस बात का संकेत भी देती हैं कि यहां वर्षो पहले विशाल जीव निवास करते थे।

