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दिल्ली वालों के वाहनों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगी सीएम रेखा, कहा-हम दिल्ली के अधिकारों के लिए…

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि तकनीकी चुनौतियों और जटिल प्रणालियों के कारण इस तरह के ईंधन प्रतिबंधों को लागू करना मुश्किल है।

By: Divyanshi Singh | Last Updated: July 6, 2025 3:21:27 PM IST



End of Life vehicles:दिल्ली में पुराने वाहनों पर रोक का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है। इस मामले में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएक्यूएम को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इस योजना को फिर से शुरू किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश होंगे। दिल्ली की जनता से अपील करेंगे। प्रदूषण को लेकर सरकार की तैयारी के बारे में भी बताएंगे।” दिल्ली सरकार ने 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों (एंड ऑफ लाइफ या ईओएल) पर 1 जुलाई से रोक लगाने का फैसला किया था। इन वाहनों को 1 जुलाई से पेट्रोल देने पर रोक लगा दी गई थी। इसके चलते लोगों ने इस फैसले का विरोध किया।

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, “हम दिल्ली के अधिकारों के लिए लड़ेंगे जो पूरे देश में एक पैरामीटर है। दिल्ली में भी यही लागू होना चाहिए, सरकार अपना काम करे और प्रशासन अपना काम करे, लेकिन हमारा उद्देश्य है कि दिल्ली के लोगों को परेशानी न हो। इस आदेश को फिर से शुरू करने के लिए हम इस पर फैसला देने वाली सभी एजेंसियों के समक्ष पेश होंगे, हम दिल्ली के लोगों को राहत देने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।”

पर्यावरण मंत्री ने प्रतिबंध को बताया मुश्किल

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि तकनीकी चुनौतियों और जटिल प्रणालियों के कारण इस तरह के ईंधन प्रतिबंधों को लागू करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि खराब रखरखाव वाले वाहनों को जब्त करने की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है, न कि अपनी कार और मोटरसाइकिल की देखभाल करने वाले लोगों को दंडित किया जाएगा।

1 जुलाई से लागू हुआ आदेश

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) का यह आदेश 1 जुलाई से लागू हुआ। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना था, जहां लोग सर्दियों में जहरीली धुंध और पूरे साल खराब वायु गुणवत्ता से जूझते हैं। इस आदेश से 62 लाख से अधिक वाहन प्रभावित हुए, जिनमें कार, दोपहिया, ट्रक और पुरानी विंटेज गाड़ियां शामिल हैं। यह आदेश इस आधार पर दिया गया कि वाहन दिल्ली में प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं।

पेट्रोल पंपों पर कैमरे लगाए गए

आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 50% से अधिक प्रदूषण वाहनों के कारण होता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 498 पेट्रोल पंपों पर लगाए गए कैमरों से एंड ऑफ लाइफ वाहनों (ईएलवी) की पहचान की जानी थी। ये कैमरे एक सेंट्रल डेटाबेस से जुड़े होते हैं, जो नंबर प्लेट की जांच करता है और वाहन का ईएलवी स्टेटस बताता है और फ्यूल ऑपरेटर को अलर्ट करता है।

‘दिल्ली अभी तैयार नहीं’

इस बीच, दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भी इस फैसले को लेकर दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल दिल्ली इस तरह के प्रतिबंध के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने फिलहाल इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली में अभी ऐसी सुविधाएं नहीं हैं कि लाखों वाहनों को हटाया या स्क्रैप किया जा सके।

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