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लगातार हथ‍ियार खरीद रहा है भारत, पांच महीने में ही खत्म हो गया आधा बजट…पाक-चीन की बढ़ गई टेंशन

Defence Budget India: रक्षा मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस आवंटन का 50 प्रतिशत से अधिक कुछ ही महीनों में खर्च हो चुका है.

By: Shubahm Srivastava | Last Updated: October 14, 2025 12:09:22 PM IST



Indian Army Modernization: भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण के उद्देश्य से रक्षा क्षेत्र में निवेश लगातार बढ़ाया जा रहा है. वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में रक्षा खरीद (पूंजीगत व्यय) के लिए कुल ₹1,80,000 करोड़ आवंटित किए गए थे. रक्षा मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस आवंटन का 50 प्रतिशत से अधिक कुछ ही महीनों में खर्च हो चुका है.

सितंबर 2025 के अंत तक कुल ₹92,211.44 करोड़ (51.23%) खर्च हो चुके हैं. पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में मंत्रालय ने कुल ₹1,59,768.40 करोड़ का पूंजीगत व्यय किया था, जो दर्शाता है कि भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में लगातार तेजी लाई जा रही है.

कैपिटल एक्सपेंडिचर का महत्व

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, आवंटित धनराशि का 50% से अधिक उपयोग करने का उद्देश्य विमान, एयरोइंजन, जहाज, पनडुब्बी, हथियार प्रणालियाँ और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण सहित महत्वपूर्ण उपकरणों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करना है. इस व्यय से न केवल नई तकनीकों और हथियारों की खरीद होगी, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) को भी बढ़ावा मिलेगा. इससे सशस्त्र बलों की सामरिक और तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी.

स्वदेशीकरण और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा

भारतीय रक्षा मंत्रालय स्वदेशीकरण पर विशेष ज़ोर दे रहा है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में घरेलू उद्योगों के लिए ₹1,11,544.83 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिसमें अब तक लगभग 45% का महत्वपूर्ण व्यय शामिल है. यह पहल रक्षा प्रौद्योगिकी में देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ाती है और एमएसएमई तथा स्टार्ट-अप्स को इस क्षेत्र में भागीदारी के अवसर प्रदान करती है. वित्तीय वर्ष 2020-21 से घरेलू उद्योगों से खरीद को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे रक्षा उत्पादन की दक्षता और गुणवत्ता में सुधार हुआ है.

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लगातार बढ़ रही पूंजीगत आवंटन

पिछले पाँच वर्षों में सशस्त्र बलों के पूंजीगत व्यय में लगभग 60% की वृद्धि देखी गई है. यह निवेश केवल नए हथियारों और प्लेटफार्मों की खरीद तक ​​ही सीमित नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा, तकनीकी क्षमताओं और रक्षा उद्योग के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है. अधिकांश व्यय विमानों और वायुयानों पर हुआ है, जबकि थल प्रणालियों, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, हथियारों और प्रक्षेपास्त्रों पर भी पर्याप्त धनराशि खर्च की गई है.

इस प्रकार, भारतीय रक्षा मंत्रालय की रणनीति स्पष्ट है: एक आधुनिक और स्वदेशी सशस्त्र बल का निर्माण करना जो तकनीकी रूप से सक्षम और आत्मनिर्भर हो. लगातार बढ़ते बजट और पूंजीगत व्यय से संकेत मिलता है कि भारत अपनी सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं को उच्चतम स्तर पर बनाए रखने के लिए गंभीर और सक्रिय कदम उठा रहा है.

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