Cloud Burst Reason: उत्तराखंड, हिमाचल से लेकर जम्मू-कश्मीर तक कई पहाडी इलाकों में लगातार बादल फटने की दर्दनाक खबरें आ रही हैं। सैकड़ों आशियाने तबाह हो चुके हैं, चारों तरफ मौतों का मातम और बचकर निकलने के रास्ते तक बंद हो गए हैं। अभी तक किश्तवाड में करीब 65 मौतें, कठुआ में 7, उत्तरकाशी में करीब 5 लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा कुल्लू में भी बादल फटने से भारी तबाही हुई है। आसमान से बरस रही लगातार आफत के बीच ये जानना जरूरी हो जाता है कि बादल आखिर क्यों फटता है और क्या पहाड़ के अलावा किसी मैदानी इलाके में भी ये तबाही पहुंच सकती है?
Cloud Burst का क्या है कारण?
जलवायु परिवर्तन की वजह से कई प्राकृतिक आपदाएं हर साल सैंकड़ों इंसानी जानें निगल रही हैं। साल 2025 में भी ऐसी ही घटनाएं लगातार देखने को मिल रही हैं। इन दिनों बरसात का महीना चल रहा है और कई जगहों पर भारी-बारिश, बाढ़, जलभराव के खौफनाक नजारे दिखाई दे रहे हैं। इस बीच बादल फटने की घनाओं ने देश भर में दहशत फैला रखी है।
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बादल फटने का मतलब होता है कि एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ गिर जाना। इतने पानी का फोर्स झेल पाना आम आदमी के बस में नहीं होता। मौसम विभाग के मुताबिक बादल जब भारी मात्रा में आर्द्रता लिए हुए ऐसी जगह से गुजरते हैं, जहां उनके रास्ते में कोई बाधा हो या फिर बादल अपने अंदर लगातार बढ़ रही नमी को और इकट्ठा नहीं कर पाते। तभी वो फट पड़ते हैं और लाखों लीटर बारिश का पानी एक साथ आसमान से मौत लेकर गिर पड़ता है।
Delhi, Lucknow, Jaipur और Chandigarh में आ सकती है ये कयामत?
बादल ज्यादातर कम ऐट्मॉस्फेरिक प्रेशर वाले इलाकों में फटने का खतरा लिए हुए होते हैं, जो ज्यादातर पहाड़ों में ही होता है। हालांकि, मैदानी इलाकों में भी बादल फटने की घटना देखी गई है लेकिन इसके चांसेस बेहद कम हैं। दावा किया गया है कि गर्म हवा के भारी आर्द्रता वाले बादलों के टकराने से भी क्लाउड बर्स्ट की संभावना बढ़ जाती है। दिल्ली के पालम इलाके में बादल फटने का खौफनाक नजारा दिख चुका है, ये घटना साल 2011 के सितंबर महीने में हुई थी।

