Bihar Politics: लोजपा (राज़दार) में बड़ी संख्या में पदाधिकारियों के इस्तीफे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। रविवार को योगिनिया कोठी दुर्गा मंदिर के समीप आयोजित बैठक में पूर्व जिलाध्यक्ष दीपक कुमार सिंह समेत कुल 128 पदाधिकारियों ने पार्टी से सामूहिक रूप से इस्तीफा देने की घोषणा की। इस इस्तीफे से सारण जिले में लोजपा (रा.) की संगठनात्मक स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इस इस्तीफे में सारण कमेटी के 28 पदाधिकारी, जिले के 20 में से 16 प्रखंड अध्यक्ष, पूरी महानगर इकाई तथा संसदीय बोर्ड के तीन सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा, महिला मोर्चा के 19 में से 11 पदाधिकारियों ने भी पार्टी से अलग होने का निर्णय लिया है। महिला मोर्चा के इस्तीफा देने वालों में जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं, जो पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। छपरा महानगर के 20 वार्ड अध्यक्षों ने भी इस फैसले का समर्थन करते हुए इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफा देने वाले प्रखंड अध्यक्षों की सूची में सोनपुर, दिघवारा, दरियापुर, परसा, अमनौर, मकेर, तरैया, बनियापुर, मढ़ौरा, एकमा, पानापुर, छपरा सदर, रिविलगंज और इसुआपुर जैसे प्रमुख इलाकों के अध्यक्ष शामिल हैं। यह बड़े पैमाने पर पदाधिकारियों का विदाई संदेश लोजपा (रा.) के संगठन के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है।
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राजनीति में इस तरह के पदाधिकारियों के पलायन को सामान्य माना जाता है, लेकिन एक साथ इतनी बड़ी संख्या में इस्तीफा देना पार्टी के अंदर चल रही असंतोष की स्थिति को दर्शाता है। इससे लोजपा (रा.) के आगामी राजनीतिक कदमों और विधानसभा चुनावों पर भी असर पड़ सकता है।
इससे पहले भी 38 नेताओं ने छोड़ा साथ
इससे पहले भी बिहार के खगड़िया जिले में लोजपा (रा.) से 38 नेताओं के इस्तीफे की खबरें आई थीं। उस समय पार्टी के प्रदेश सचिव डॉ. पवन जायसवाल और नवनियुक्त जिलाध्यक्ष मनीष कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि यह खबरें भ्रामक हैं और उनमें से 28 नेता अभी भी पार्टी के साथ हैं। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की थी।
सारण जिले में हुए इस ताज़ा इस्तीफे ने पार्टी के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना यह होगा कि लोजपा (रा.) इस संकट का सामना कैसे करती है और भविष्य में अपने कार्यकर्ताओं को कैसे जोड़े रखती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के लिए जरूरी होगा कि वह संगठन को मजबूत करने के लिए तुरंत कदम उठाए, नहीं तो आगामी चुनावों में इसका नकारात्मक असर हो सकता है।

