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ताइवान की उपराष्ट्रपति की हत्या करना चाहता था चीन? बना लिया था पूरा प्लान, इस खुफिया एजेंसी ने किया सनसनीखेज खुलासा

China vs Taiwan Europe: चीन ने पिछले साल प्राग की अपनी यात्रा के दौरान ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बि-खिम पर हमला करने की साजिश रची थी। यह दावा चेक गणराज्य की सैन्य खुफिया एजेंसी ने किया है।

By: Deepak Vikal | Published: June 28, 2025 5:51:42 PM IST



China vs Taiwan Europe: चीन ने पिछले साल प्राग की अपनी यात्रा के दौरान ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बि-खिम पर हमला करने की साजिश रची थी। यह दावा चेक गणराज्य की सैन्य खुफिया एजेंसी ने किया है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने कार को टक्कर मारकर उन्हें डराने की योजना बनाई थी। हालांकि साजिश पूरी नहीं हो सकी, लेकिन इसे यूरोप में चीन द्वारा की गई अब तक की सबसे गंभीर कूटनीतिक कार्रवाई बताया जा रहा है।

चेक सैन्य खुफिया प्रमुख पेट्र बार्टोव्स्की के अनुसार, चीन की योजना जानबूझकर ह्सियाओ की कार को टक्कर मारने की थी, ताकि हमला प्रतीकात्मक हो और अंतरराष्ट्रीय संदेश जाए। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि प्राग की सड़कों पर लाल बत्ती तोड़ते समय एक चीनी राजनयिक ने ताइवान प्रतिनिधिमंडल का पीछा किया, जिससे पुष्टि हुई कि वे निगरानी में थे।

उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम की जानकारी जुटा रहे थे चीनी अधिकारी

चेक सुरक्षा एजेंसियों ने कहा कि चीनी अधिकारी ताइवान की उपराष्ट्रपति के पूरे कार्यक्रम, बैठकों और बातचीत की जानकारी जुटा रहे थे। वे यह भी दस्तावेज कर रहे थे कि ह्सियाओ ने चेक के किन नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ह्सियाओ को कोई सीधा खतरा नहीं था, क्योंकि स्थानीय सुरक्षा बल पूरी तरह से तैनात और सतर्क थे। फिर भी, चीन की कार्रवाई को कूटनीतिक मानदंडों का उल्लंघन माना जा रहा है।

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चीन ने जताई नाराजगी

रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही चीन ने चेक गणराज्य पर ‘वन चाइना पॉलिसी’ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि प्राग द्वारा ताइवान के स्वतंत्रता समर्थकों को मंच देना एक गंभीर राजनीतिक गलती है। इस खुलासे से चेक गणराज्य में ताइवान समर्थक भावनाएं और मजबूत हो सकती हैं।

पिछले कुछ सालों में चीन के बढ़ते दबाव के खिलाफ यूरोपीय देशों में ताइवान के प्रति सहानुभूति बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस प्रकरण से ताइवान और यूरोपीय देशों के बीच संबंधों में नई गति आ सकती है, वहीं चीन के खिलाफ यूरोपीय सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता भी बढ़ेगी।

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