Home > देश > Chanda Kochhar bribery case: पति की कंपनी के जरिए मिला फायदा! ICICI बैंक की पू्र्व CEO चंदा कोचर दोषी करार, विवादों संग रहा है पुराना नाता

Chanda Kochhar bribery case: पति की कंपनी के जरिए मिला फायदा! ICICI बैंक की पू्र्व CEO चंदा कोचर दोषी करार, विवादों संग रहा है पुराना नाता

यह मामला 2009-2012 के बीच दिए गए कुल 1,875 करोड़ रुपये के ऋण से जुड़ा है, जिसमें से 300 करोड़ रुपये 2012 में स्वीकृत किए गए थे। कथित रिश्वत हस्तांतरण उसके तुरंत बाद हुआ था।

By: Ashish Rai | Published: July 22, 2025 5:35:19 PM IST



Chanda Kochhar bribery case: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को वीडियोकॉन से 300 करोड़ रुपये के ऋण के बदले 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाया गया है। ट्रिब्यूनल ने पुष्टि की है कि रिश्वत उनके पति की कंपनी के जरिए दी गई थी, जो धन शोधन निवारण अधिनियम और बैंक की आंतरिक नीतियों का उल्लंघन है।

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रिश्वत का लेन-देन उनके पति की कंपनी के माध्यम से किया गया था

न्यायाधिकरण ने पाया कि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन को 300 करोड़ रुपये का ऋण देने के ठीक एक दिन बाद, वीडियोकॉन की एक सहायक कंपनी से दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स को 64 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए थे। रिश्वत का लेन-देन दस्तावेज़ी साक्ष्यों और पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों से स्पष्ट हो गया है।

ट्रिब्यूनल ने माना हितों के टकराव और पद के दुरुपयोग का मामला 

अपने फैसले में, ट्रिब्यूनल ने चंदा कोचर द्वारा अपने पति के व्यावसायिक संबंधों के बारे में जानकारी छिपाने को “हितों के टकराव” का गंभीर उल्लंघन बताया। वह स्वयं उस समिति का हिस्सा थीं जिसने वीडियोकॉन को ऋण स्वीकृत किया था, जबकि उनके पारिवारिक हित स्पष्ट रूप से इसमें शामिल थे। यह कृत्य “पद का दुरुपयोग और व्यक्तिगत लाभ” की श्रेणी में आता है।

पहले जारी की गई संपत्ति अब ज़ब्त, ट्रिब्यूनल ने पुराने आदेश को पलटा

ट्रिब्यूनल ने अब 2020 में 78 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त करने और फिर उसे जारी करने के ईडी के आदेश को रद्द कर दिया है। ट्रिब्यूनल का कहना है कि पहले के फैसले में “महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी” की गई थी और “रिकॉर्ड से विपरीत निष्कर्ष निकाले गए थे।”

पुराने मामले से शुरू हुई जाँच, अब सख्त कानूनी कार्रवाई की तैयारी

यह मामला 2009-2012 के बीच दिए गए कुल 1,875 करोड़ रुपये के ऋण से जुड़ा है, जिसमें से 300 करोड़ रुपये 2012 में स्वीकृत किए गए थे। कथित रिश्वत हस्तांतरण उसके तुरंत बाद हुआ था। शिकायतों और मीडिया रिपोर्टों के बाद चंदा कोचर ने 2018 में सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था। अब ईडी और सीबीआई इस मामले में और गहन कार्रवाई कर सकते हैं।

चंदा कोचर कौन हैं?

चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी रह चुकी हैं। उन्होंने बैंक को रिटेल सेक्टर में मज़बूती प्रदान की और कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते। 2018 में, वीडियोकॉन को दिए गए ऋण में हितों के टकराव और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। अब 2025 में, ट्रिब्यूनल ने उन्हें ₹64 करोड़ की रिश्वत लेने का दोषी ठहराया है।

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