Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है, एक तरफ जहां एनडीए सत्ता में वापसी का दम भर रही है, वहीं इंडिया गठबंधन भी कोई कसर छोड़ना नहीं चाह रही है। इस बीच, चुनावी गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि, लालू यादव एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर चुनाव लड़ सकते हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव के लिए आरक्षण का मुद्दा जीत का फॉर्मूला साबित हुआ था। हालांकि, साल 2025 के विधानसभा चुनाव में आरक्षण का मुद्दा काम कारगर साबित होगा या नहीं। ये तो वक्त ही बताएगा।
किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा बिहार का चुनाव?
राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 2020 का चुनाव रोजगार और पलायन के मुद्दे पर लड़ा था। इसका महागठबंधन को फायदा भी हुआ। तेजस्वी यादव सत्ता की दहलीज तक पहुंचे। इस बार भी महागठबंधन के एजेंडे में यह शीर्ष प्राथमिकता वाले मुद्दों में शामिल है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने भी तेजस्वी की तरह ही रोजगार और पलायन को चुनावी मुद्दों की अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने पहले ही भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कन्हैया कुमार को काम पर लगा दिया है।
लालू को आरएसएस ने दिया मुद्दा
जिस मुद्दे के दम पर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने 2015 में एनडीए को मात दी थी, उसी को वे इस बार भी ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करेंगे। वह मुद्दा है संविधान और उससे जुड़ा आरक्षण। सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर बिहार में जातिवाद की जड़ों को गहराई तक पहुंचाने वाले लालू यादव आरक्षण और संविधान के सहारे ही अपनी चाल चलते रहे हैं। इसमें उन्हें भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस से मदद मिलती रही है। जब भी आरएसएस से जुड़ा कोई बड़ा व्यक्ति आरक्षण और संविधान के संदर्भ में कुछ कहता है, लालू उसे तुरंत उठा लेते हैं।
लालू अच्छी तरह जानते हैं कि बिहार में जाति, संविधान और इससे जुड़ा आरक्षण उनके लिए सदाबहार मुद्दे हैं। इस बार भी आरएसएस ने लालू यादव को इन मुद्दों को आजमाने का मौका दिया है।