Home > देश > Bihar Chunav से पहले Chirag Paswan ने ठोका मास्टरस्ट्रोक, लालू-तेजस्वी छोड़िए…पानी भी नहीं मांग पाएंगे दूसरे नेता

Bihar Chunav से पहले Chirag Paswan ने ठोका मास्टरस्ट्रोक, लालू-तेजस्वी छोड़िए…पानी भी नहीं मांग पाएंगे दूसरे नेता

चिराग पासवान ने एलान किया कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वे खुद भी मैदान में उतरेंगे। अब सवाल ये उठ रहा है कि चिराग पासवान चाहते क्या हैं? वहीं, इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है।

By: Shivanshu S | Published: July 7, 2025 4:55:06 PM IST



Bihar Chunav: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर बिहार की सियासत के केंद्र में हैं। अपने बयानों और राजनीतिक अंदाज़ से वह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। हाल ही में उन्होंने एलान किया कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और वे खुद भी मैदान में उतरेंगे। अब सवाल ये उठ रहा है कि चिराग पासवान चाहते क्या हैं? वहीं, इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है। 

सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान

पिछले कुछ दिनों में चिराग पासवान ने भोजपुर और सारण जैसे इलाकों में जनसभाएं कीं और एक ही बात बार-बार दोहराई कि “हम सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे और बिहार को बदलेंगे।” उन्होंने खुद के विधानसभा चुनाव लड़ने की बात भी कही है, जिससे एनडीए के समर्थक और कार्यकर्ता भ्रम में पड़ गए हैं। सवाल उठता है कि अगर एलजेपी-आर सभी सीटों पर लड़ेगी तो बाकी एनडीए पार्टियों के लिए जगह कहां बचेगी?

चाचा से मिली बढ़त, फिर भी नाराज़ क्यों?

चिराग पासवान फिलहाल लोकसभा में पांच सांसदों वाली पार्टी के नेता हैं और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी है। भाजपा ने उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को किनारे करके चिराग को समर्थन दिया। ऐसे में यह कहना कि “हम किसी से डरते नहीं” आखिर किसे चेतावनी दे रहे हैं चिराग? विश्लेषकों की मानें तो चिराग यह संदेश इसलिए दे रहे हैं ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में उन्हें कम न आंका जाए। कभी 60 तो कभी 40 सीटों की मांग एलजेपी-आर की ओर से होती रही है।

2020 की तरह दोहराएंगे इतिहास?

2020 विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान ने ऐसा ही कदम उठाया था। जब उन्हें एनडीए में मनचाही सीटें नहीं मिलीं, तो उन्होंने गठबंधन से अलग होकर 134 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। इन उम्मीदवारों ने जदयू को खासा नुकसान पहुंचाया, करीब 34 सीटों पर एलजेपी-आर ने जदयू की हार में भूमिका निभाई। चिराग ने भाजपा को सीधे निशाने पर नहीं लिया था, बल्कि खुद को ‘मोदी का हनुमान’ बताकर जनता के बीच पहुंचे थे।

सीट बंटवारे को लेकर असली तनातनी

चिराग सिर्फ ज्यादा सीटें ही नहीं, बल्कि उन सीटों की भी मांग कर रहे हैं, जिन पर 2020 में उनके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे। बता दें, ये सीटें मुख्य रूप से जदयू की रही हैं। ऐसे में जदयू तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि ऐसी लगभग 14 सीटें हैं, जिन्हें लेकर दोनों दलों में तनाव है।

कहां है सियासी ज़मीन?

सारण की सभा में चिराग ने बिहार के विकास की बात की, लेकिन सच्चाई ये है कि सारण की 10 में से 7 सीटें महागठबंधन के पास हैं और 3 सीटें भाजपा के पास हैं। एलजेपी-आर का वहां कोई खास आधार नहीं है। इसके बावजूद चिराग वहां जाकर खुद को सीएम उम्मीदवार के रूप में पेश कर रहे हैं। बता दें, चिराग पासवान की रणनीति एक ओर उन्हें सीटों में बेहतर सौदेबाज़ी दिला सकती है, लेकिन दूसरी ओर इससे एनडीए में अंदरूनी खींचतान बढ़ने की आशंका भी है। अब देखना ये होगा कि भाजपा इस बार चिराग को कितना महत्व देती है और जदयू उनकी मांगों पर क्या रुख अपनाता है।

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