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अरावली क्यों है जरूरी? सुप्रीम कोर्ट की नई परिभाषा से खतरे में पहाड़, चोरी-छिपे जारी खनन

Aravalli Hills: उत्तर में दिल्ली से लेकर दक्षिण में गुजरात तक फैली अरावली पर्वत श्रृंखला आजकल सुर्खियों में है. इसका दो-तिहाई हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है. हालांकि, अरावली श्रृंखला धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रही है. लगातार अवैध खनन के कारण अरावली के कुछ हिस्से गायब हो रहे है. हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अरावली श्रृंखला की एक नई परिभाषा ने इसके अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है. मंत्रालय की सिफारिश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इस परिभाषा को मान लिया है.

By: Mohammad Nematullah | Published: December 21, 2025 5:00:19 PM IST



Aravalli Hills: उत्तर में दिल्ली से लेकर दक्षिण में गुजरात तक फैली अरावली पर्वत श्रृंखला आजकल सुर्खियों में है. इसका दो-तिहाई हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है. हालांकि, अरावली श्रृंखला धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रही है. लगातार अवैध खनन के कारण अरावली के कुछ हिस्से गायब हो रहे है. हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अरावली श्रृंखला की एक नई परिभाषा ने इसके अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है. मंत्रालय की सिफारिश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इस परिभाषा को मान लिया है. इस परिभाषा के अनुसार, अरावली श्रृंखला में केवल 100 मीटर से ऊंचे पहाड़ों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा. इस बीच अरावली के एक हिस्से में चोरी-छिपे अवैध खनन हो रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम जनता और पर्यावरणविदों में गुस्सा है. इस श्रृंखला को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर #SaveAravalli हैशटैग ट्रेंड कर रहा है. पर्यावरण कार्यकर्ता भी अरावली को बचाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे है. आइए समझते हैं कि अरावली को बचाना क्यों ज़रूरी है.

अरावली को काटने से उपजाऊ जमीन रेगिस्तान में बदल जाएगी

अरावली सिर्फ़ एक आम पर्वत श्रृंखला नहीं है. यह देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है. अरावली पर्वत थार रेगिस्तान को फैलने से रोकते है. वे थार रेगिस्तान की गर्म धूल भरी हवाओं को पूरब की ओर बढ़ने से रोकते है. अगर अरावली को हटा दिया जाए, तो उपजाऊ मैदान भी रेगिस्तान में बदल सकते है.

सूखे और बाढ़ का खतरा

अरावली के विनाश का इकोसिस्टम पर बड़ा असर पड़ेगा. इससे सूखे बाढ़ और प्रदूषण का खतरा बढ़ जाएगा. इससे लाखों परिवार प्रभावित होंगे. आने वाली पीढ़ियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा.

बढ़ते प्रदूषण से रोज़मर्रा की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो जाएगी

अरावली श्रृंखला दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों की हवा को साफ करती है. यह दिल्ली-एनसीआर के लिए “हरे फेफड़ों” की तरह काम करती है. यह प्रदूषकों को फंसाकर हवा को साफ करती है. इसके बावजूद दिल्ली और पूरा देश खराब हवा की गुणवत्ता से जूझ रहा है. प्रदूषण के कारण लोगों को अस्थमा सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. पर्यावरणीय परिणामों को नज़रअंदाज करते हुए, अगर इन पहाड़ों को हटा दिया गया, तो रोज़मर्रा की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो जाएगी.

भूजल कम होने से पानी की कमी

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन अगर अरावली श्रृंखला को काट दिया जाए, तो पानी का संकट पैदा हो सकता है. अरावली श्रृंखला की चट्टानें बारिश का पानी सोखकर भूजल को रिचार्ज करती है. यह ग्राउंडवॉटर दिल्ली-NCR और आस-पास के इलाकों के लिए पानी का एक ज़रूरी सोर्स है. इन पहाड़ों को काटने से ग्राउंडवॉटर का लेवल कम हो जाएगा. दिल्ली के कई इलाकों में गर्मियों में पहले से ही पानी की कमी होती है. अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन पहाड़ों को हटा दिया जाता है, तो न सिर्फ दिल्ली-NCR बल्कि दूसरी जगहों पर भी पानी की भारी कमी हो जाएगी.

जानवर जंगल से बाहर आ जाएंगे

जैसा कि सब जानते हैं, जंगली जानवर जंगल में रहते हैं, और वही उनका घर है. अगर अरावली रेंज को हटा दिया जाता है, तो तेंदुए, सियार और शेर जैसे जानवर बाहर आ जाएंगे. इससे आम लोगों के लिए दिक्कतें हो सकती है.

पेड़ों और पौधों का विनाश

पहाड़ों को हटाने के लिए पेड़-पौधों को काटा जाएगा. इससे ऑक्सीजन की कमी होगी, और पेड़ों और पौधों की कई प्रजातियां खत्म हो जाएंगी. इसके अलावा वहां पाए जाने वाले औषधीय पौधे भी नष्ट हो जाएंगे, जिसका असर आयुर्वेद पर पड़ेगा.

नदियों पर असर

चंबल साबरमती और लूनी जैसी कई ज़रूरी नदियां अरावली रेंज से निकलती है. पहाड़ों को हटाने से इन नदियों पर असर पड़ेगा. वे धीरे-धीरे सूख सकती हैं, या बाढ़ बढ़ सकती है.

मौसम और तापमान पर असर

अरावली पहाड़ियां लोकल मौसम को स्थिर रखती है और तापमान बढ़ने से रोकती है. वे बारिश के चक्र को बनाए रखने में भी मदद करती है. उन्हें हटाने से गर्मियां और सर्दियां ज़्यादा चरम पर होंगी, और बारिश के पैटर्न पर भी असर पड़ेगा.

अवैध खनन

कहा जा रहा है कि इस जंगल को खनन के लिए काटा जा रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार अरावली रेंज में खनन पर बैन लगा दिया गया था. इसके बावजूद अभी भी चोरी-छिपे अवैध खनन किया जा रहा है. लेकिन अलवर NCR क्षेत्र खनन से बुरी तरह प्रभावित दिख रहा था. भांगगढ़ के पास कई खदानें दिखाई दे रही थी. आस-पास पड़ी मशीनरी और स्थानीय लोगों से बातचीत से पता चला कि अवैध खनन अभी भी जारी है.

इसे कैसे रोका जा सकता है?

अरावली रेंज की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला पलटना होगा. अरावली रेंज की एक वैज्ञानिक रूप से सही परिभाषा भी तय करनी होगी. इसके अलावा खनन को पूरी तरह से रोकना होगा. बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने और बहाली के काम के लिए निर्देश देने होंगे.

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