हिमाचल प्रदेश से अनुराग शर्मा की रिपोर्ट
Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को उस समय गर्मा गया जब कर्मचारियों को लंबित महंगाई भत्ता (डीए) देने का मुद्दा उठा। इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब न मिलने पर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने सदन से वॉक आउट कर दिया।
धरातल पर कुछ भी नहीं होता – जयराम ठाकुर
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस ने कर्मचारियों के सहयोग और भरोसे के बल पर सत्ता हासिल की, लेकिन अब वही सरकार कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बार-बार कर्मचारियों को आश्वासन देते हैं, मगर धरातल पर कुछ भी नहीं होता।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों का 11 प्रतिशत से अधिक डीए रोक रखा है। “आज मुख्यमंत्री की बातचीत से यह साफ हो गया कि वह यह डीए देना ही नहीं चाहते। बार-बार पूर्व सरकार पर दोषारोपण करने से जिम्मेदारी से मुक्ति नहीं मिल सकती। ढाई साल से अधिक समय बीत चुका है, अब सुक्खू सरकार को अपनी नाकामी स्वीकार करनी चाहिए,” उन्होंने कहा।
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सरकार की ओर से डीए जारी करने की कोई घोषणा नहीं
नेता प्रतिपक्ष ने याद दिलाया कि बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि मई से कर्मचारियों को डीए की एक किश्त जारी कर दी जाएगी। “मई निकल गया, जून निकल गया, जुलाई बीत गया और अब अगस्त भी खत्म होने को है, लेकिन सरकार की ओर से डीए जारी करने की कोई घोषणा नहीं हुई। आज भी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तिथि बताने से परहेज किया,” जयराम ठाकुर ने कहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों का लगभग 2000 करोड़ रुपये डीए एरियर के रूप में अटका हुआ है। “कर्मचारी अपने इलाज के लिए भटक रहे हैं। ढाई साल से मेडिकल बिलों का भुगतान तक नहीं किया गया। क्या इसके लिए भी विपक्ष ही जिम्मेदार है?” उन्होंने तंज कसा।
भाजपा इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाएगी
जयराम ठाकुर ने कहा कि स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के समय भी डीए बकाया था, जिसे भाजपा सरकार ने जारी किया था। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करती रही तो भाजपा इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक जोर-शोर से उठाएगी।

