हमारे समाज में प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) को लेकर कई सवाल ऐसे हैं जिन पर खुलकर बात नहीं की जाती. इनमें से एक विषय है मास्टरबेशन (Masturbation). इस पर कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं. कुछ लोग इसे पाप मानते हैं, तो कुछ इसे नामर्द या बांझपन से जोड़ देते हैं. घरों में इस पर बात न होने के कारण भ्रम और डर और भी बढ़ जाते हैं.
ये सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है. लेकिन डॉक्टरों के अनुसार, मास्टरबेशन का फर्टिलिटी से कोई संबंध नहीं है. शरीर एक फैक्ट्री की तरह काम करता है. स्पर्म (Sperm) हर दिन बनते रहते हैं. आप चाहें जितनी बार मास्टरबेट करें, शरीर नया स्पर्म बनाता रहेगा.
इसका मतलब है कि शरीर खुद ही लगातार नए स्पर्म बनाता है, इसलिए मास्टरबेशन से भविष्य में बच्चों को जन्म देने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता.
स्पर्म कैसे बनते हैं?
पुरुष शरीर में स्पर्म बनने की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. हर दिन करोड़ों स्पर्म टेस्टेस (Testes) में बनते हैं. इन्हें पूरी तरह मैच्योर होने में लगभग 64 से 72 दिन लगते हैं. इसका मतलब है कि शरीर के पास हमेशा नए स्पर्म की सप्लाई होती है.
भले ही कोई व्यक्ति नियमित रूप से मास्टरबेशन करे, शरीर खोए हुए स्पर्म की भरपाई कर लेता है. इसलिए डॉक्टर मानते हैं कि स्वस्थ पुरुषों में स्पर्म बनने की कोई सीमा नहीं होती.
वास्तव में किन चीजों से घटती है फर्टिलिटी?
मास्टरबेशन से नहीं, बल्कि अन्य कारणों से पुरुषों की फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है, जैसे –
अस्वस्थ जीवनशैली (धूम्रपान, शराब, नशा)
मोटापा या हार्मोनल असंतुलन
तनाव, चिंता या डिप्रेशन
कुछ दवाओं या संक्रमणों का असर
इसके अलावा, समाज में फैले मिथक और शर्म की भावना भी युवाओं को मानसिक रूप से परेशान करती है. कई बार गलत जानकारियों के कारण लोग गिलटी में डूब जाते हैं और सही मेडिकल सलाह नहीं ले पाते.
खुलकर बात करना क्यों जरूरी है
विशेषज्ञों का मानना है कि मास्टरबेशन एक नार्मल और स्वाभाविक क्रिया है. ये तनाव को कम करने, नींद सुधारने और अपने शरीर को बेहतर समझने में मदद कर सकती है.

