Home > दिल्ली > Gurugram Noida Rapid Rail Corridor: IFFCO चौक से सूरजपुर तक हाई-स्पीड सफर, यहां जानें रुट – लागत और बाकी की डिटेल्स

Gurugram Noida Rapid Rail Corridor: IFFCO चौक से सूरजपुर तक हाई-स्पीड सफर, यहां जानें रुट – लागत और बाकी की डिटेल्स

Gurgaon Noida rail corridor: यह कॉरिडोर सेक्टर 54 से गुज़रेगा, बाटा चौक पर फरीदाबाद में प्रवेश करेगा, सेक्टर 85-86 चौराहे से होते हुए नोएडा सेक्टर 142/168 की ओर बढ़ेगा, और आखिरकार सूरजपुर में खत्म होगा.

By: Shubahm Srivastava | Published: December 18, 2025 7:52:17 PM IST



Gurugram Noida Rapid Rail Corridor: गुरुग्राम और नोएडा के बीच यात्रा को आसान, सुविधाजनक और तेज़ बनाने के लिए, NCR ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (NCRTC) एक रैपिड रेल कॉरिडोर बनाने की योजना बना रहा है.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस स्ट्रेच का एक सिरा गुरुग्राम के IFFCO चौक पर और दूसरा ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर में होगा, और यह पूरी तरह से दिल्ली को बायपास करेगा.

यह स्ट्रेच दिल्ली में IGI एयरपोर्ट को हाई-स्पीड रेल के ज़रिए जेवर में बनने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ने की केंद्र सरकार की लंबी अवधि की योजना को भी फायदा पहुंचाएगा.इसके लिए, अधिकारियों ने हरियाणा सरकार को एक ड्राफ्ट डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) सौंपी है.

कहां-कहां से होकर गुजरेगा कॉरिडोर?

ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार, यह कॉरिडोर सेक्टर 54 से गुज़रेगा, बाटा चौक पर फरीदाबाद में प्रवेश करेगा, सेक्टर 85-86 चौराहे से होते हुए नोएडा सेक्टर 142/168 की ओर बढ़ेगा, और आखिरकार सूरजपुर में खत्म होगा.टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, छह स्टेशनों वाले इस रूट प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है और यह हरियाणा में तीसरा रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर होगा.

मीडिया रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अन्य दो कॉरिडोर—दिल्ली-गुरुग्राम-मानेसर-बावल और दिल्ली-पानीपत-करनाल—को पहले ही पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड से मंज़ूरी मिल चुकी है और वे केंद्रीय कैबिनेट से अंतिम मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे हैं.

93 किमी लंबा कॉरिडोर, 32,000 करोड़ लागत

93 किमी लंबे दिल्ली-बावल कॉरिडोर की अनुमानित लागत 32,000 करोड़ रुपये है, जबकि 136 किमी लंबे दिल्ली-करनाल कॉरिडोर की अनुमानित लागत 33,000 करोड़ रुपये है.दोनों सराय काले खां से शुरू होंगे, जो पूरी हो चुकी दिल्ली-मेरठ RRTS लाइन का टर्मिनल भी है और कमीशनिंग के लिए तैयार है.

केंद्र और यूपी सरकार की RRTS को लेकर योजना

केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार भी सराय काले खां से जेवर या गाजियाबाद से जेवर तक एक RRTS कॉरिडोर पर विचार कर रही हैं. फिजिबिलिटी टेस्ट के नतीजों के आधार पर, रूट में बदलाव किया जा सकता है. गुरुग्राम-नोएडा कॉरिडोर IFFCO चौक पर दिल्ली-बावल कॉरिडोर से जुड़ेगा, जबकि सूरजपुर को गाजियाबाद-जेवर कॉरिडोर पर एक स्टेशन के रूप में प्लान किया गया है.यात्रा का समय बहुत कम लगेगा. IFFCO चौक से फरीदाबाद तक का सफर सिर्फ़ 22 मिनट में और नोएडा तक 38 मिनट में पूरा होगा. उम्मीद है कि यह कॉरिडोर दिल्ली के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क पर दबाव कम करेगा और NCR में आने-जाने के तरीके को बदल देगा.

NCRTC ने एलिवेटेड लाइन का प्रस्ताव दिया है, लेकिन हरियाणा सरकार ने ज़्यादा ज़मीन की कीमत और घनी शहरी आबादी के कारण गुरुग्राम में इसे अंडरग्राउंड बनाने का सुझाव दिया है.अधिकारियों का तर्क है कि सिर्फ़ एक या दो स्टेशन वाला एलिवेटेड कॉरिडोर बहुत कम लोकल यात्रियों के काम आएगा और भविष्य में सड़क और मोबिलिटी अपग्रेड में रुकावट डाल सकता है.अंडरग्राउंड लाइन भविष्य की शहरी ज़रूरतों के लिए ज़मीन बचाएगी.

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हरियाणा सरकार ने जताई चिंता

NCRTC के अधिकारियों का कहना है कि बातचीत अभी शुरुआती दौर में है, और वे सभी स्टेकहोल्डर्स से फीडबैक ले रहे हैं. हरियाणा ने यह चिंता भी जताई है कि मुख्य सड़कों के किनारे एलिवेटेड ट्रैक भविष्य में विस्तार को सीमित कर सकते हैं, जैसे कि फ्लाईओवर, मल्टीलेवल जंक्शन, पैदल चलने वालों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और इंटीग्रेटेड बस सिस्टम. एलिवेटेड वायडक्ट्स के निर्माण के दौरान सालों तक ट्रैफिक जाम भी हो सकता है.

शहरी मोबिलिटी विशेषज्ञ अशोक भट्टाचार्जी ने कहा कि अंडरग्राउंड और एलिवेटेड सिस्टम के बीच चुनाव अब टेक्नोलॉजी से ज़्यादा लागत, ज़मीन की उपलब्धता और शहरी माहौल पर निर्भर करता है.दोनों सिस्टम शहरों को आपस में जोड़ सकते हैं, लेकिन स्टेशनों की संख्या और जगह बहुत ज़रूरी है. सीमित स्टेशन लोगों को प्राइवेट गाड़ियों से पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर आने के लिए राज़ी नहीं कर पाएंगे.यात्रियों को आकर्षित करने के लिए स्टेशन लोगों के रहने और काम करने की जगह से 3-5 किमी के दायरे में होने चाहिए.लक्ष्य लोगों की सेवा करना होना चाहिए, न कि सिर्फ़ एक ट्रांसपोर्ट सिस्टम चलाना.

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