किसने लिखा था वंदे मातरम ? इस वजह से मिला राष्ट्रीय गीत का दर्जा, जानें क्या है हिन्दी में इसका अर्थ

Vande Mataram Lyrics: भारत का राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम, पहली बार 1896 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया था.वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

Published by Divyanshi Singh

Vande Mataram Lyrics: प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “वंदे मातरम्, ये एक शब्द, एक मंत्र, एक ऊर्जा, एक स्वप्न, एक संकल्प है. वंदे मातरम् ये एक शब्द मां भारती की साधना है, मां भारती की अराधना है. वंदे मातरम्, ये एक शब्द हमें इतिहास में ले जाता है.ये हमारे भविष्य को नया हौसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धी न हो सके, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो हम भारतवासी पा न सकें.” तो चलिए जानते हैं कि  भारत का राष्ट्रीय गीत के रचयिता कैन हैं इसे कब राष्ट्रगान की उपाधि मिली थी. इसका अर्थ क्या है?

किसने लिखा था वंदे मातरम?

भारत का राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम, बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 1870 के दशक में रचित था. कवि और उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर, 1876 को वंदे मातरम गीत लिखा था. वंदे मातरम बंकिम चंद्र चटर्जी के उपन्यास आनंदमठ से लिया गया है. रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत की धुन तैयार की थी. 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत घोषित किया, जिससे यह भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अंकित हो गया.

कब मिला राष्ट्रीय गीत का दर्जा?

भारत का राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम, पहली बार 1896 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में गाया गया था.वंदे मातरम ने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्ति की भावना जागृत करने में मदद की.

वन्दे मातरम् हिंदी लिरिक्‍स

वन्दे मातरम्।

सुजलाम् सुफलाम् मलय़जशीतलाम्,

शस्यश्यामलाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 1।।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,

फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,

सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्,

सुखदाम् वरदाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 2।।

कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले,

कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,

के बॉले माँ तुमि अबले,

बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीम्,

रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम्।। 3।।

तुमि विद्या तुमि धर्म,

तुमि हृदि तुमि मर्म,

त्वम् हि प्राणाः शरीरे,

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बाहुते तुमि माँ शक्ति,

हृदय़े तुमि माँ भक्ति,

तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे। वन्दे मातरम् ।। 4।।

त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,

कमला कमलदलविहारिणी,

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्,

नमामि कमलाम् अमलाम् अतुलाम्,

सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम्।। 5।।

श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम्,

धरणीम् भरणीम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 6।।

वन्दे मातरम् गीत का अर्थ

हे मां, तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। मां तुम पानी से भरी हुई हो, फलों से भरी हुई हो।हे मां तुम्हें मलय से आती हुई हवा शीतलता प्रदान करती है।हे मां तुम फसल से ढकी रहती हो। हे मां, तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। ।।1।।

वो जिसकी रात्रि को चांद की रोशनी शोभायमान करती है, वो जिसकी भूमि खिले हुए फूलों से सुसज्जित पेड़ों से ढकी हुई है। सदैव हंसने वाली, मधुर भाषा बोलने वाली , सुख देने वाली, वरदान देने वाली मां तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। ।।2।।

करोड़ों कंठ मधुर वाणी में तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं। करोड़ों हाथों में तेरी रक्षा के लिए धारदार तलवारें निकली हुई हैं। मां कौन कहता है कि तुम अबला हो। तुम बल धारण की हुई हो। तुम तारने वाली हो। मां तुम शत्रुओं को समाप्त करने वाली हो। मां तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। ।।3।।

तुम ही विद्या हो, तुम ही धर्म हो। तुम ही हृदय, तुम ही तत्व हो। तुम ही शरीर में स्थित प्राण हो। हमारी बांहों में जो शक्ति है वो तुम ही हो। हृदय में जो भक्ति है वो तुम ही हो। तुम्हारी ही प्रतिमा हर मन्दिर में गड़ी हुई है। मां तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। ।।4।।

तुम ही दस अस्त्र धारण की हुई दुर्गा हो। तुम ही कमल पर आसीन लक्ष्मी हो। तुम वाणी एवं विद्या देने वाली (सरस्वती ) हो, तुम्हें प्रणाम है। तुम धन देने वाली हो, तुम अति पवित्र हो, तुम्हारी कोई तुलना नहीं हो सकती है, तुम जल देने वाली हो, तुम फल देने वाली हो। मां तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। ।।5।।

हे मां तुम श्यामवर्ण वाली,अति सरल,सदैव हंसने वाली हो। तुम धारण करने वाली,पालन-पोषण करने वाली हो। मां तुम्‍हें मेरा प्रणाम है। ।।6।।

जय हिंद।

Divyanshi Singh
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