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UNGA के मंच पर इस देश के नेता ने दिया था 4 घंटे लंबा भाषण, जाने हिंदी में सबसे पहले किसने किया UN को संबोधित?

UNGA History: न्यूयॉर्क में इस बार होने वाली UNGA की 80वी बैठक में पीएम मोदी की जगह जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S.Jaishankar)भारत की तरफ से भाषण देंगे।

By: Shubahm Srivastava | Published: September 6, 2025 6:21:15 PM IST



UNGA History : ट्रंप टैरिफ वॉर के बीच इस बार न्यूयॉर्क में होने वाली UNGA (United Nations General Assembly) की बैठक में पीएम मोदी (PM Modi) के जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S.Jaishankar) भारत की तरफ से भाषण देंगे। बता दें कि यूएनजीए संयुक्त राष्ट्र का सबसे रिप्रेजेंटेटिव निकाय है और दुनिया के 193 देश इसके सदस्य हैं, जिनको समान मताधिकार करने की ताकत मिली हुई है।

हर बार की तरह इस बार इस बार भी UNGC की बैठक  न्यूयॉर्क में होने वाली, जिसमें कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष/सरकार प्रमुख या विदेश मंत्री राष्ट्रीय अपना दृष्टिकोण दुनिया के सामने रखते हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि यूएनजीए की स्थापना साल 1945 में हुई थी। इस बार इसकी 80वीं बैठक होगी। इस मंच से वैश्विक शांति, विकास, मानवाधिकार और बजट जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि सबसे पहले किसी भारतीय नेता ने UNGC में हिंदी में भाषण दिया था और सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड किसके नाम है? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं?

UNGA में सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड 

संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतिहास पर नज़र डालें तो अब तक के सबसे लंबे भाषण का रिकॉर्ड क्यूबा के फिदेल कास्त्रो (Fidel Castro) के नाम है, जो उन्होंने 26 सितंबर 1960 को दिया था। रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने 269 मिनट (4 घंटे 29 मिनट) का भाषण दिया था। आपको बता दें कि कास्त्रो का यह कारनामा संयुक्त राष्ट्र और यूएन रेफरेंस की रिकॉर्ड/वीडियो लाइब्रेरी में दर्ज है।

UNGA में पहला हिंदी भाषण किस भारतीय ने दिया?

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में पहला भाषण अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने वर्ष 1977 में दिया था। उस समय वे देश के विदेश मंत्री थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत का पक्ष रखते हुए आगे भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में कई यादगार भाषण दिए, जो भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों की पुरालेख तस्वीरों में दर्ज हैं।

1977 में हिंदी में दिए अपने भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी ने परमाणु निरस्त्रीकरण, आतंकवाद-विरोध और संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत करके विश्व मंच पर हिंदी को प्रतिष्ठा दिलाई।

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