मुगल दरबार की चमक-धमक के पीछे सिर्फ शोहरत नहीं, बल्कि बेहद व्यवस्थित सामाजिक और प्रशासनिक तंत्र भी था. हज़ारों कमरे, क्वीन-कॉन्सॉर्ट्स, सदस्यों का जाल और हर तरफ़ सुरक्षा व गोपनीयता. ऐसी परिस्थिति में जब महिलाएँ पर्दा करती थीं, पुरुष दूसरों से अलग थे और शाही दुनिया हर दिन एक नया मोड़ लेती थी, तब ‘ख्वाजा सारा’ लोगों की खास भूमिका सामने आई. उन्हें सिर्फ स्त्रियों की देखभाल नहीं बल्कि सुरक्षा, प्रशासन और विश्वास का प्रतीक माना गया. उनका क्या महत्व था, और हमारे-आज के लिए यह हमें क्या सीख देता है.
भरोसे की पूरक भूमिका
मुगल ज़िनान यानी महल की महिलाओं के-विभाग में पुरुषों का आ जाना इतिहास-विरोधी माना जाता था. ऐसे में उन-क्वीन-कॉन्सॉर्ट्स-पर नजर रखने, काम काज संभालने और गोपनीय मामलों में भागीदारी के लिए ऐसे व्यक्ति-चाहिए थे जिन पर भरोसा हो. यूनेक्स-चुने जाते थे क्योंकि उन्हें पुरुष-स्त्री संबंध की सम्भावना नहीं थी, इसलिए उन्हें “भरोसेमंद देखभालकर्ता” माना गया.
सामाजिक और लैंगिक स्थिरता का प्रतीक
यूनेक्स-स्थिति ने राजशाही परिवार में लैंगिक जटिलताओं को कम किया. क्योंकि उन्हें पुरुष-या-स्त्री की सामान्य भूमिका न निभानी पड़ी, इसलिए उन्होंने एक बीच-का स्थान बनाया. जो पुरुषों-स्त्रियों दोनों दलों के लिए सुरक्षित था. इस कॉम-और-प्रोफेशनल भूमिका ने शाही प्रतिष्ठा में एक‐नए-प्रकार की अचार-संस्कृति को जन्म दिया.
हरेम का संवेदनशील प्रवेश-द्वार
महल-की जटिल संरचना में यह देखा गया कि बाहर पुरुषों का-सीधा प्रवेश ज़िनान में उचित न था. यूनेक्स को इस प्रवेश-द्वार का रखवाला बनाया गया क्योंकि उन्होंने महिलाओं‐प्रवेश, कामकाज, बैठकों और सुरक्षा में तटस्थ भूमिका निभाई. उनका विभेद पुरुष-स्त्री के बीच की सामान्य बाधाओं को समाप्त करता था.
शक्ति-प्रतिष्ठा में वृद्धि
यूनेक्स सिर्फ नौकर या रखवाले नहीं रहे. कई ने महत्वपूर्ण पदों पर राज किया. उदाहरण-के-लिए, दौर के शासक-अधिकारियों में यूनेक्स को वित्त-प्रशासन, सेना-प्रशासन और गुप्तचर-नेटवर्क में नियुक्त किया गया. इससे यह स्पष्ट होता है कि ज़िनान से जुड़ी भूमिका उनकी शक्ति-वृद्धि का कारण बनी.
राजनीति और घटनाओं में मध्यस्थ
मुगल-राजतंत्र में यूनेक्स ने राजा-प्रिंस, दरबार-सेनानी तथा ज़िनान-महिलाओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई. उन्होंने सूचना संकलन, संदेश पहुँचाना, विवाद-सुलझाना और शक्ति-साझा करना इन कार्यों में सक्रिय भूमिका ली जो उन्हें सिर्फ “महल का हिस्सा” नहीं बल्कि “महल-की सियासी वाहक” बना गई थी.