शादी को हमेशा दो आत्माओं का पवित्र बंधन माना गया है, जो जीवनभर साथ निभाने का वादा होता है. लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी परंपराएं हैं जो इस सोच को पूरी तरह बदल देती हैं. यह रिश्ता एक तय अवधि के बाद अपने आप खत्म हो जाता है. कहा जाता है कि कुछ लोग इसे धार्मिक मान्यता के तहत करते हैं, जबकि कुछ लोग इसे आर्थिक मजबूरी से अपनाते हैं.यह प्रथा समाज में बहस का विषय है ,कुछ इसे आपसी सहमति वाला रिश्ता कहते हैं, तो कुछ इसे महिलाओं के शोषण का माध्यम मानते हैं. आइए जानते हैं इससे जुड़ी 8 खास बातें, जो इसे विवादास्पद बनाती हैं.
क्या है मुताह निकाह?
मुताह निकाह एक अस्थायी विवाह व्यवस्था है जिसमें शादी एक तय समय के लिए की जाती है. यह अवधि कुछ घंटों से लेकर 15 दिन या उससे अधिक हो सकती है. इस दौरान पति-पत्नी के सभी अधिकार और कर्तव्य निभाए जाते हैं, लेकिन समय पूरा होते ही रिश्ता अपने आप खत्म हो जाता है. इसमें तलाक की जरूरत नहीं होती.
यह परंपरा कहां चलती है
यह रिवाज खास तौर पर इंडोनेशिया, इराक, और ईरान के कुछ इलाकों में देखने को मिलता है. हालांकि इंडोनेशिया में यह सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है. छोटे कस्बों या ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और रोजगार की कमी के कारण कई महिलाएं इस परंपरा में शामिल होती हैं. स्थानीय स्तर पर इसे सामाजिक रूप से छिपाकर किया जाता है, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में इसका विरोध होता है. कई सामाजिक संस्थाएं इसे खत्म करने की मांग कर चुकी हैं, लेकिन कुछ समुदाय अब भी इसे पारंपरिक प्रथा मानते हैं.
शादी की अवधि कितनी होती है
मुताह निकाह की सबसे खास बात यह है कि इसकी अवधि पहले से तय होती है. कोई व्यक्ति कुछ घंटों, कुछ दिनों या अधिकतम 15 दिनों तक शादी का रिश्ता निभा सकता है. दोनों पक्ष इस अवधि पर आपसी सहमति से फैसला करते हैं. समय पूरा होने के बाद यह विवाह स्वतः समाप्त हो जाता है और किसी तलाक या कानूनी प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ती. हालांकि, कई बार इस अवधि के खत्म होने के बाद महिलाएं मानसिक और भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करती हैं क्योंकि रिश्ता अचानक खत्म हो जाता है.

