Jewel Of India State: अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और अनूठी परंपराओं के लिए मशहुर मणिपुर (Manipur) के बारे में ये जानकारी कम ही लोगों को पता है कि इसे ‘भारत का रत्न’ ‘Jewel of India’ भी कहा जाता है. मणिपुर को ये उपाधि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राज्य के मनमोहक आकर्षण को देखते हुए दिया था. मणिपुर भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में आता है.
वहां की हरी-भरी घाटियां, लुढ़कती पहाड़ियां और प्रसिद्ध लोकतक झील दिल जीत लेने वाला है. इसे पूर्वोत्तर भारत के पर्यटन का एक छिपा हुआ रत्न भी माना जाता है और प्रकृति, संस्कृति और रोमांच की तलाश करने वाले यात्रियों के लिए यह एक दर्शनीय स्थल है.
‘भारत का रत्न’ उपाधी दिए जाने के पीछे की वजह
मणिपुर को अपनी सुरम्य घाटियों, बर्फ से ढके पहाड़ों, दुर्लभ वन्य जीवन और जीवंत सांस्कृतिक जीवन के कारण भारत का रत्न कहा जाता है. इसे अक्सर दक्षिण पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार कहा जाता है, जो इसे पड़ोसी देशों के साथ भारत के संपर्क में ऐतिहासिक और सामरिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण बनाता है.
संगाई हिरण से लेकर विदेशी ऑर्किड तक, इसकी समृद्ध जैव विविधता और मणिपुरी नृत्य जैसी सांस्कृतिक धरोहरें इस राज्य को अद्वितीय बनाती हैं. प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और अंतर्राष्ट्रीय महत्व का संयोजन मणिपुर को भारतीय राज्यों में एक सच्चा रत्न बनाता है.
मणिपुरी संस्कृति और परंपराओं पर एक नजर
मणिपुरी संस्कृति और परंपराओं की बात करें तो वो अपने शास्त्रीय मणिपुरी नृत्य रूपों जैसे रासलीला के लिए जाना जाता है, जो भगवान कृष्ण और राधा की कहानियों को दर्शाते हैं. राज्य थांग ता और हुएन लैंग्लों जैसी पारंपरिक मार्शल आर्ट को भी संरक्षित करता है, जो शक्ति और अनुशासन का प्रदर्शन करती हैं. लाई हराओबा, निंगोल चाकोबा और याओशांग जैसे रंगारंग त्योहार समुदायों को एक साथ लाते हैं और मणिपुरी परंपराओं को उजागर करते हैं.
मणिपुर : एक सांस्कृतिक केंद्र
यह राज्य अपने हथकरघा और हस्तशिल्प, विशेष रूप से पारंपरिक फानेक (महिलाओं का लहंगा), बांस की कारीगरी और अनोखे आभूषणों के लिए भी प्रसिद्ध है. कला, त्योहारों और परंपराओं का यह मिश्रण मणिपुर को न केवल भारत का रत्न बनाता है, बल्कि पूर्वोत्तर का एक सांस्कृतिक केंद्र भी बनाता है.
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