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भारत का पड़ोसी नहीं, हिस्सा होता नेपाल…अगर नेहरू स्वीकार कर लेते नेपाली राजा का ये ऑफर

India-Nepal Merger : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में बताया है कि राजा त्रिभुवन ने जवाहर लाल नेहरू को नेपाल को भारत में मिलाने का ऑफर दिया था.

By: Shubahm Srivastava | Published: September 10, 2025 4:12:27 PM IST



India-Nepal Merger: Gen Z प्रोटेस्ट ने पूरे नेपाल में को कुछ ही घण्टों में हिलाकर रख दिया है. सोशल मीडिया बैन के बाद से शुरू हुई हिंसा ने पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ कर फेंक दिया है. खबरों के मुताबिक इस्तीफा देकर पीएम ओली जान बचाकर दुबई भाग गए हैं। फिलहाल नेपाल में हालात को काबू करने के लिए सेना ने कमान संभाल ली है. हिंसा में अब तक कम से कम 22 लोगों की मौत की खबर सामने आई है. 

लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू को नेपाल को भारत में मिलाने का सुझाव दिया था। जाने आखिर क्यों नेहरू ने ये ऑफर ठुकरा दिया?

इस घटना को लेकर भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेजिडेंशियल इयर्स’ में अच्छे से उल्लेख किया है. इसमें लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया गया है. चलिए इसके बारे में जानते हैं.

भारत का हिस्सा होता नेपाल अगर…

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि राजा त्रिभुवन ने जवाहरलाल नेहरू को नेपाल के भारत में विलय का प्रस्ताव दिया था।

पुस्तक के 11वें अध्याय ‘माई प्राइम मिनिस्टर: डिफरेंट स्टाइल्स, डिफरेंट टेम्परामेंट्स’ में लिखा है कि हर प्रधानमंत्री की अपनी कार्यशैली होती है। लाल बहादुर शास्त्री ने नेहरू से बिल्कुल अलग दृष्टिकोण अपनाया था। विदेश नीति, सुरक्षा और आंतरिक प्रशासन जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्रियों की अलग-अलग धारणाएँ हो सकती हैं, भले ही वे एक ही पार्टी के हों।

नेहरू ने क्यों ठुकरा दिया ऑफर?

प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में आगे लिखा है कि नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू को सुझाव दिया था कि नेपाल को भारत का एक प्रांत बना दिया जाए, लेकिन नेहरू ने यह प्रस्ताव इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसे ऐसा ही रहना चाहिए.’

अगर उस वक्त नेहरू ने बीर बिक्रम शाह का ऑफर मान लिया होता, तो आज नेपाल भी भारत का ही राज्य होता, वैश्विक परिस्थितियों के मद्देनजर राजा त्रिभुवन नेपाल का भारत में विलय करना चाहते थे और उन्होंने यह प्रस्ताव नेहरू के सामने रखा था.

प्रणब मुखर्जी ने आगे ये भी लिखा कि अगर नेहरू की जगह इंदिरा होतीं तो वे इस मौके का जरूर फायदा उठातीं, जैसा कि उन्होंने सिक्किम के मामले में किया था.’ इंदिरा के कार्यकाल में ही सिक्किम का विलय भारत में हुआ था.

दुनिया में सबसे पहले इस जगह हुआ था तख्तापलट, इस मामले में भारत के पड़ोसी देश भी नहीं हैं कम

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